July 24, 2015 | Leave a comment अन्न-पूर्णा देवी का सिद्ध मन्त्र मन्त्रः- “ॐ सत्त नाम का सभी पसारा, धरन गगन में जो वर तारा । मन की जाप जहाँ लग आखा, तहँ-तहँ सत्त नाम की राखा । अन्न-पूरना पास गई बैठाली, थुड़ी गई खुसाली । चिनत मनी कलप तराये, काम-धेनु को साथ लियाये । आया आप कुबेर भण्डारी, साथ लक्ष्मी आज्ञाकारी । सत गुरु पूरन किया सवारथ, विच आ बइठे पाँच पदारथ । राखा ब्रह्मा-विशुन-महेश-काली-भैरव-हनु-गनेस, सिध चौरासी अरु नवनाथ बावन वीर जती चौसाठ । धाकन गमन पिरथवी का वासन, रहे अम्बोल न डोले आसन । राखा हुआ आप निरंकार, थुड़ी भाग गई समुन्दरो पार । अतुत भण्डार, अखुत अपार, खात-खरचत कुछ न होय न ऊना, देय देवाये दूना चौना । गुरु की झोली मेरे हाथ, गुरु वचनी बँधे पँच तात । बेअण्ट बेअण्ट भण्डार, जिनकी पैज रखी करतार । मन्तर पूरना जी का संपूरन भया । बाबा नानक जी का गुरु के चरन कमल को नमस्ते-नमस्ते-नमस्ते ।” विधिः- उपर्युक्त पञ्जाबी भाषा के सिद्ध मन्त्र को ११ बार प्रतिदिन जप करें । १ हजार जप हो जाने पर किसी प्रकार की कमी नहीं होती । Related