अभिचार-नाशक मन्त्र
मन्त्रः- “हनुमान वीर बैठे मसान, जो मन भावे सो प्रमाण । पञ्जे अङ्गी, पञ्जे मुट्‌ठी । छेवाँ गुग्गल, होया प्रकाश । मोहनी-दोहनी दोनों बहनाँ, हत्थ में तक्की तेल- कड़ावाँ । तेल हमारे मुख में चढ़े । सार का तड़ाग, रूपे का लँगोट । हनुमान वीर सुत्ते ताँ जाग हमारे पास । भूत-प्रेत को मार । डाकिनी-शाकिनी को मार । जोगनी- मसानी को मार । लगे-लगाए को मार । गादे – गदेले को मार । राहिए – चौराहिए को मार । लौहले – सींडुओं को मार । हमारा मन्त्र गया काली के पास । काली का लगा चक्कर । हनुमान का लगा थप्पड़ । सब लगा-लगाया गया सत समुद्र पार ।।”

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विधि – होली, दिवाली अथवा ‘ग्रहण’ के समय उक्त मन्त्र को १००० बार ‘जप’ कर सिद्ध कर लें । फिर आवश्यकता पड़ने पर विभूति या लौंग-इलायची या सफेद गोल मिर्च / दक्खिनी मिर्च अभि- मन्त्रित करके पीड़ा-ग्रस्त व्यक्ति को दें । इससे सभी प्रकार के पर- कृत अभिचारों का नाश होता है ।

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