October 26, 2015 | aspundir | 3 Comments आकर्षण – वशीकरण शाबर मन्त्र १॰ मन्त्र – “बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम” विधिः- मुँह में दूध भरकर उक्त मन्त्र ७८६ बार पढ़ें । फिर वह दूध उगलकर किसी पदार्थ में मिलाकर जिस स्त्री को खिला-पिला दिया जाए, वह आजीवन वश में रहेगी । vaficjagat २॰ लोना चमारिन – मन्त्रः- “फूल फूले फूलों की डाल । वो फूल बीने लोना चमारिन । एक फूल हँसे बैह्या नारसिंह के बसे । जो कोई ले फूल की बास, वो आवे हमारे पास । डगर कुआँ पनघट बैठी हो, उठा ला । सोवत हो, जगा ला । ठाढ़ हो, चला ला । मोह के मेरे पास न लाए, तो सच्ची मोहिनी न कहाय । दुहाई लोना चमारिन की, आन वीर मसान की ।।” विधिः- उक्त मन्त्र से पुष्प को ७ बार अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री को मार दे या सुँघा दे, वह मोहित होगी । पहले मन्त्र को पूरी तरह कण्ठस्थ कर लें और जब कार्य करना हो, तब लोना चमारिन को एक नारियल तथा पाँच खारक (छुहारे) भेंट दें, तभी प्रयोग करें । ३॰ करुआ वीर – मन्त्रः- “कारा हरुआ, आवन वीर । सब तिरियों में तेरा शरीर । हालठ को मिट्टी, पैर की छाल । पकड़ के मारो मंगलवार । मंगलवार कियो सिंगार । अब न देखोगे घर की बार । घर छोड़े, घराना छोड़े । छोड़े घर का कन्त । आवे तो आवे, नहीं वीर वेताल की लात छाती में धावे । मेरी आन, मेरे गुरु की आन । ईश्वर गौरा पार्वती महादेव की दुहाई ।” विधिः- मरघट की राख और स्त्री के बाँएँ पैर के नीचे की धूल को लेकर उक्त मन्त्र से तीन बार अभिमन्त्रित कर मंगलवार के दिन उसी स्त्री के सिर पर छिड़क दें, तो वह वशीभूत होगी । ४॰ सरसों – मन्त्रः- “कामरु देश कामाक्षा देवी, जहाँ बसे इस्मायल योगी । चल रे सरसों कामरु जाई, जहाँ बैठी बुढ़िया छुतारी माई । भेजूँ सरसों उसके खप्पर, कर दे सरसों, अमुकी को वश कर । न करे तो गुरु गोरखनाथ, बंगाल खण्ड, कामरु कामाक्षा देवी, इस्माइल योगी लजाए ।” विधिः- २१ बार अभिमन्त्रित सरसों जिसे मारी जाएँगी, वह स्त्री वशीभूत होगी । ५॰- मिठाई – मन्त्रः- “सोहनी-मोहनी दोऊ बहनी, दोनों पनिया जाए । इन्द्र मोहे, इन्द्रासन मोहे । बैठ पाताल वासुकि कन्या मोहे, हाथ परे हाथ जस पावे । पेटे जाय, तो सब ही रस खावे । मोह के मेरे पास न लाए, तो राजा वासुकि की कन्या न कहाए । मेरी आन, मेरे गुरु की आन । ईश्वर गौरा पार्वती, महा-देव की दुहाई ।” विधिः – मिठाई को २१ बार अभिमन्त्रित कर जिसे खिला दिया जाए, वह स्त्री मोहित होकर साधक के पास आ जाती है । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe
आपके site पर जितने भी मंत्र देखे सबमें त्रुटी है जो कि आप जानबूझ कर रहे है । आपको ऐसा नहीं करना चाहिए इसी कारण लोग सिद्धि प्राप्त नही कर पाते है और अपना विश्वास खो देते है । आप विद्या दोष के भी भागीदार हो सकते है । कृपया अधूरा ज्ञान देकर लोगो की भावनाओ से ना खेले । Reply
भगत जी, यथायोग्य अभिवादन। वेद, पुराण, उपनिषद्, ज्योतिष ग्रन्थ आदि सहित जितनी भी श्रुतियाँ है, उनका पुस्तक आदि के माध्यम से उद्घाटन सुनने के उपरान्त लेखन से हुआ है। उक्त सभी श्रुतियाँ गुरु-मुख से ग्रहण करने योग्य कही गयी है। अस्तु, कहने (बोलने), सुनने व लेखन के मध्य हुए पाठान्तर का उचित न्याय किस आधार पर किया जाना चाहिये सुधी-जन हेतु विचारणीय है। अनेकानेक मन्त्र, स्तोत्र, दोहा, चौपाई आदि असंख्य पाठान्तरों व भाषान्तर से जन मानस में प्रचलित है एवं आस्थावान् मनुष्य अपने सामर्थ्य के अनुरुप उनसे लाभ उठाता है। यदि लेखन में असंख्य पाठान्तर किञ्चित मतान्तर उपलब्ध है तो उच्चारण के कारण भी निःसन्देह अनगिनत भेद-अभेद भी उपस्थित होगा ही, ऐसा मुझ अल्पज्ञ का मत है। कभी-कभी लेखकीय भुल (Typing mistake) भी शब्द-संप्रेषण में निहित हो जाती है। एतद् आप जैसे महानुभावों से अनुरोध है कि मन्त्रों / स्तोत्रों आदि का वास्तविक स्वरुप उच्चारण सहित प्रेषित / उद्घाटित कर मुझ अल्पज्ञ तथा अंतर्जाल जगत् (Internet world) के आस्थावान् मनुजों को मार्गदर्शन प्रदान करें। इस सेवक को अतीव प्रसन्नता होगी। पुनश्च – सिद्धि प्राप्ति के लिये निश्चय् ही श्रद्धा एवं विश्वास की सर्वप्रथम आवश्यकता होती हैं जिसका आधार तर्क-रहित है। Reply