आकस्मिक आसन्न सङ्कट से रक्षा करनेवाला मन्त्र
मन्त्र :- (१) “आवत देखो, उध-सुध बैठत, पथरा सुहान । हाथ बाँधौ, मुँह बाँधौ, आठो दन्त बन्द कराऔ । अहो नारसिंह नाथ ! इस बन से उस बन चली जाई, काल दाग को दीन्हो छिपाई । जै बजरङ्ग बली की दोहाई ।”

om, ॐ
विधि- उक्त मन्त्र को एकान्त में हनुमान जी की मूर्ति के सामने या मन्दिर में मङ्गलवार को रात्रि में १००८ बार जप कर, गुग्गुल व गुड से हवन कर सिद्ध करना चाहिए । तदनन्तर किसी भी स्थान में, गली में या स्थल में आपत्ति या सङ्कट आने पर मन्त्र का स्मरण करते ही तुरन्त रक्षा होती है । भयानक सर्प के सामने मन्त्र पढ़कर धूल उठाकर फेंक देने से या उसकी दिशा में फूंक मारने से वह तुरन्त दूर हट जाता है ।

(२) “ऐसी तोही न बूझिए, हनुमान हठीले!
साहिब कहू राम सों, तोसो न बसीले ।
तोही देखत, सिंह के शिशु मेढक लीले ।
जानति हो कलि तेरो, मन गन-गुन कीले ।
हाँक सुनत दस – कन्ध के, भय-बन्धन ढीले ।
सो बल गयो, कीधो गयो, अब गर्व गहीले ।
सेवक को पर्दा फटे, तू समरथ सीले ।
अधिक आफतैं आपने, सुनि मान सहीले ।
साँसत तुलसीदास की, सुनि सुजस तुहीर्ले ।
तिहू काल तिनको भलो, जो राम रँगीले ।”

विधि-
पूर्ण ब्रह्मचर्य-युक्त होकर, लाल वस्त्र धारण कर हनुमान जी के परम तेजस्वी चमत्कारिक उक्त अनुभूत छन्दात्मक मन्त्र का २१००० जप करें, तो यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । इस मन्त्र से सभी प्रकार की आपत्ति, भूत-प्रेतादि की भय-बाधा तुरन्त दूर हो जाती है ।

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