August 18, 2015 | aspundir | Leave a comment कवच के प्रयोग तन्त्रों में कवच पाठ की कुछ विशिष्ट विधियाँ भी उपलब्ध है। यथा- ॰ प्रातः, मध्याह्न एवं सायं – तीनों सन्ध्याओं में कवच का पाठ करने से शीघ्र सिद्धि सुलभ होती है। ॰ “गुरु” की पूजा कर तीन बार या एक बार ज्ञान-सहित कवच का पाठ करे। इस प्रकार नित्य पाठ करने से पाठ-कर्त्ता सभी सिद्धियों का स्वामी होता है। ॰ श्वेत चन्दन, अगरु, कस्तूरी, केशर, रक्त-चन्दन,- इन सबके मिश्रण के घोल से भोज-पत्र पर कवच को लिखकर सोने के यन्त्र में रखकर पुरुष दाहिनी बाँह में, स्त्री बाँईं बाँह में, कण्ठ में अथवा कमर में धारण करे, तो सभी इच्छित कामनाएँ पूरी होती है। ॰ पूजा-कक्ष में चन्दन से लिखा हुआ ‘कवच’ रखने से सभी प्रकार से रक्षा होती है एवं निरन्तर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा सभी ग्रह-आदि प्रसन्न रहते हैं। ॰ अष्टमी को मंगल के दिन, चतुर्दशी में सन्ध्या-समय, मघा, श्रवण या रेवती-नक्षत्र के समय, सिंह राशि में चन्द्रमा के जाने पर ता कर्कटस्थ रवि के समय, मीन राशि में बृहस्पति के होने पर, वृश्चिक राशि में शनि के होने पर उत्तराभिमुख होकर ‘कवच’ को लिखे व धारण करे। इससे शीघ्र सिद्धि होती है। ॰ शुभ-योग में, ब्रह्म-योग में इन्द्र-योग में, वैधृति-योग में, आयुष्मान्-योग में, श्रवण, रेवती या पुनर्वसु, उत्तरा-फाल्गुनी, उत्तताषाढ़ा, पूर्व-फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वा-भाद्रपद, अश्विनी या रोहिणी नक्षत्र में, तृतीया, नवमी, अष्टमी, चतुर्दशी, षष्ठी, पञ्चमी, अमावस्या या पूर्णिमा तिथि में, रात्रि में, निर्जन में, एक लिंग-स्थान में, श्मशान में, शिव-मन्दिर में, श्वेत या रक्त-पुष्प मिश्रित चन्दन द्वारा ‘कवच’ लिखने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। ॰ मूल-मन्त्र से ‘इष्ट-देवता’ को आठ बार पुष्पाञ्जली देकर ‘कवच’ का पाठ करे, तो विशेष पूजा का फल मिलता है। ॰ सामान्य रुप से ‘गोरोचन’ और ‘कुंकुम’ द्वारा भोज-पत्र पर कवच को लिखे। लिखने के बाद कुमारी का पूजन करे। इस प्रकार कवच धारण करने वाले को आदि-व्याधि नहीं सताती। उसे किसी प्रकार का दुःख, शोक भय नहीं होता। उसे देखकर वाद-विवाद करने वाला चुप हो जाता है और उच्च अधिकारी उसके अनुकूल हो जाते हैं। ॰॰ कवच पाठ की अत्यन्त सरल और प्रामाणिक विधि इस प्रकार हैः- (१) अपने शरीर को सभी पापों से मुक्त, तेजो-रुप और देवता की आराधना के योग्य समझे (२) “ॐ ह्रौं” ज्योति-बीज का ३ बार जप करे। (३) आचमन करे- १॰ ॐ आत्म-तत्त्वं शोधयामि, २॰ ॐ शिव-तत्त्वं शोधयामि, ३॰ ॐ विद्या-तत्त्वं शोधयामि, ४॰ ॐ सर्व-तत्त्वं शोधयामि। (४) तब, प्राणायाम कर ‘इष्ट-देवता’ को ३ बार अर्घ्य प्रदान कर कवच का पाठ करे। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe