श्री कामाख्या-मन्त्र-प्रयोग
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीकामाख्या-मन्त्रस्य वह्निक ऋषिः, जगती छन्दः, कामाख्या देवता, प्रणवः शक्तिः अव्यक्तं कीलकं, अमुक-कर्मणि जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यासः- वह्नि-ऋषये नमः शिरसि, जगती-छन्दसे नमः मुखे, कामाख्या-देवतायै नमः हृदये, प्रणव (ॐ) शक्तये नमः पादयोः, अव्यक्तं कीलकाय नमः नाभौ, अमुक-कर्मणि जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।
करांग-न्यासः- ॐ नमो अंगुष्ठाभ्यां नमः, कामाख्यै नमः, तर्जनीभ्यां स्वाहा, सर्व-सिद्धये मध्यमाभ्यां वषट्, अमुक कर्म अनामिकाभ्यां हुं, कुरु-कुरु कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्, स्वाहा कर-तल-करपृष्ठाभ्यां फट्।
हृदयादि-न्यासः- ॐ नमो हृदयाय नमः, कामाख्यै शिरसे स्वाहा, सर्व-सिद्धिदायै शिरसे वषट्, अमुक-कर्म-कवचाय हुम्। कुरु-कुरु नेत्र-त्रयाय वौषट्, स्वाहा अस्त्राय फट्।
ध्यानः-
योनि-मात्र-शरीरा या, अम्बु-वासिनी कामदा। रजस्वला महा-तेजा, कामाक्षी ध्याये तां सदा।।
‘ध्यान’ करने के बाद पञ्चोपचार से पूजन करे अथवा मानसिक पूजन करे तथा मन्त्र-जप करे।
मन्त्रः- “ॐ नमो कामाख्यै सर्व-सिद्धिदायै अमुकं कर्म कुरु-कुरु स्वाहा।”
विधिः-
माँ कामाख्या का ध्यान करके प्रयोग करे। यदि विवाहित हैं और सम्भव हो, तो अपनी शक्ति को प्राकृतिक रुप में सम्मुख बिठा कर रक्त-आसन पर बैठे। रक्त-चन्दन की माला से जप करे। यदि यह सम्भव न हो, तो मात्र ध्यान, मानसिक-पूजन कर जप करे। ब्रह्मचर्य, भूमिशयन, भोजन-शुद्धि नितान्त आवश्यक है। पर-स्त्रीगमन प्रयोग-कर्त्ता को मृत्यु-दायक कष्ट देगा। अतएव पूर्णतया शुद्ध आचार-विचार से करे, अन्यथा न करे।

One comment on “कामाख्या-मन्त्र-प्रयोग

  • prnam guru ji,mai bahut paresan hu aur bhatak raha hu.mujhe es jeevan ki aur samaj ki jatilta se bahut dukh hota hai.mai vastvik gyan aur guru chahta hu lekin safal nahi hora hu.kya bharat jaisi dev bhumi par vastvik guruon ki kami ho gayi hai.agar nahi to meri madad kijie.aapki kripa hogi.plz reply me shortly.

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