September 6, 2015 | Leave a comment श्रीकार्तवीर्यार्जुन-माला-मन्त्र विनियोगः- ॐ अस्य श्रीकार्तवीर्यार्जुन-माला-मन्त्रस्य दत्तात्रेय ऋषिः । गायत्री छन्दः । श्रीकार्तवीर्यार्जुन देवता । अभीष्ट-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादि-न्यासः- दत्तात्रेय ऋषये नमः शिरसि । गायत्री छन्दसे नमः मुखे । श्रीकार्तवीर्यार्जुन देवतायै नमः हृदि । अभीष्ट-सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे । पञ्चांग-न्यासः- दत्तात्रेय-प्रियतमाय हृदयाय नमः । महिष्मती-नाथाय शिरसे स्वाहा । रेवा-नदी-जल-क्रीडा-तृप्ताय शिखायै वषट् । हैहयाधोपतये कवचाय हुं । सहस्रबाहवे अस्त्राय फट् । ध्यानः- १॰ दोर्दण्डेषु सहस्र-सम्मित-तरेष्वेतेष्वजस्रं लसत्, कोदण्डैश्च शरैरुदग्र-निशितैरुद्यद्-विवस्वत्-प्रभः । ब्रह्माण्डं परिपूरयन् स्व-निनादैर्गण्ड-द्वयान्दोलित- द्योतत्-कुण्डल-मण्डितो विजयतो श्रीकार्तवीर्यो विभुः ।। २॰ उदग्र-बाणाँश्चापानि, दधतं सूर्य-सन्निभम् । प्रपूरयन्तं ब्रह्माण्डं, धनुर्ज्या-निस्स्वनैस्तथा ।। कार्तवीर्यं नृपं ध्यायेद्, गण्ड-शोभित-कुण्डलम् ।। माला मन्त्रः- “ॐ नमो भगवते कार्तवीर्यार्जुनाय हैहयाधिपतये सहस्र-कवचाय, सहस्र-कर-सदृशाय, सर्व-दुष्टान्तकाय, सर्व-शिष्टेष्टाय, सर्वत्रोदधेरागन्तुकान् अस्मद्-वसुविलुम्पकान् चौर-समूहान् स्व-कर-सहस्रैः निवारय निवारय, रोधय रोधय, पाश-सहस्रैः बन्धय बन्धय अंकुश-सहस्रैः आकर्षय आकर्षय, स्व-चापोद्-भूत-बाण-सहस्रैः भिन्दि भिन्दि, स्व-हस्तोद्-गत-खड्ग-सहस्रैः छिन्धि छिन्धि, स्व-हस्तोद्-गत-चक्र-सहस्रैः निकृन्तय निकृन्तय, पर-कृत्यां त्रासय त्रासय, गर्जय गर्जय, आकर्षय आकर्षय, भ्रामय भ्रामय, मोहय मोहय, मारय मारय उद्वासय उद्वासय, उन्मादय उन्मादय, तापय तापय, विनाशय विनाशय, विदारय विदारय, स्तम्भय स्तम्भय, जृम्भय जृम्भय, मारय मारय, वशीकुरु वशीकुरु, उच्चाटय उच्चाटय विनाशय विनाशय, दत्तात्रेय-श्रीपाद-प्रियतम ! कार्तवीर्यार्जुन ! सर्वत्रोदधेरागन्तुकान् अस्मद् वसु-विलुम्पकान् चौर-समूहान् समग्रं उन्मूलय उन्मूलय हुं फठ् स्वाहा ।।” पुरश्चरणः- उक्त माला-मन्त्र का पुरश्चरण ३००० आवृत्तियों से होता है । पुरश्चरण करने के बाद ही प्रयोग करना चाहिए । कुछ प्रयोग निम्नानुसार है – १॰ रात्रि में एक पैर पर खड़े होकर, छः मास तक नित्य १०८ बार माला-मन्त्र का जप करने से, चोर स्वयं चोरी किया हुआ धन वापस कर देते हैं । २॰ चोरों द्वारा पशुओं का अपहरण कर लिया गया हो, तो सारे पशुओं के गले में, पाश बाँधकर खींचते हुए श्रीकार्तवीर्यार्जुन का ध्यान कर, नित्य १०८ जप करें । १२ दिनों तक इस विधि से जप करने पर अपहृत पशु वापस आ जाते हैं । ३॰ यदि चोरों ने अनाज चुराया हो, तो चोरी गए अनाज में से बचे हुए का, रात्रि में उक्त ‘माला-मन्त्र’ से, हवन करने से चोरों का ज्ञान हो जाता है । ४॰ धनुष पर बाण चढ़ाए हुए श्रीकार्तवीर्यार्जुन का ध्यान कर, दशों दिशाओं में माला-मन्त्र का जप करने से ग्राम, नगर और राष्ट्र की रक्षा होती है । ५॰ माला-मन्त्र से अभिमन्त्रित मिट्टी, पत्थर या रेत जहाँ डाली जाती है, वहाँ रात्रि में किसी भी प्रकार का उत्पात नहीं होता । ६॰ माला-मन्त्र का ३००० जप करने से महा-मारी नष्ट होती है । शत्रुओं का उच्चाटन, आपस में विद्वेषण तथा मारण होता है । तीनों लोक साधक के वश में हो जाते हैं । Related