काली के प्रत्यक्ष दर्शन का मन्त्र
मन्त्रः- “काली-काली, महा-काली । इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली । हरी गोट, पीरी सारी । माँयके को (का) बाँध, सासरे (ससुराल) को (का) बाँध । औघट को (का) बाँध, गैल ( गली) को ( का) बाँध । बार-बार (बाल-बाल) में से, सोत-सोत (स्रोत-स्रोत) में से, बत्तीसउ दाँत में से, ऐंच-खेंच के न ल्याबें (लावे) तो फेर महा-काली न कहावे । तीन पहर, तीन घड़ी (घटी) में, नीलो (नीला) धुआँ, पीरी (पीली) रज थल उड़ा के न आवे, तो काल-भैरों की सेज पै पग धरै ।”

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विधि – मद्य, नौ लौंग, सिन्दूर की टिपकिया (गोल बिन्दी) लगावे । जिस जगह बैठे, उसी जगह दीवाल पर सिन्दूर से त्रिशूल की आकृति बनावे । मुर्गी का अण्डा और फूल-पुड़िया चढ़ावे । एक माला जप पूरा होने के बाद ‘मद्य’ से हवन करे । ‘जप’ रात्रि के दस बजे बाद करे । प्रति – दिन १ माला ‘जप’ करे । ४१ दिन तक रात्रि मे ‘जप’ करे । यदि नव-दुर्गा मे करे, तो नौ दिन में ‘जप’ पूर्ण होगा ।
उक्त मन्त्र से सभी कार्य पूर्ण होते हैं, किन्तु इसका उपयोग दूसरों को पीड़ा पहुँचाने में कदापि न करे ।

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