काल गणना
भारतीय ज्योतिष में काल गणना की सबसे छोटी इकाई ‘निमेष’ है तथा सबसे बड़ी इकाई ‘ब्रह्मायु’ है, जिसका मान 31,10,40,00,00,00,000 मानव वर्ष के बराबर है। इनका विभाजन इस प्रकार किया गया है।
कोमलातिकोमल कमल दल में एक तीक्ष्ण सुई के भेदन में जितना समय लगता है, उसका नाम ‘त्रुटि’ है।
100 त्रुटियां = 1 लव
30 लव = 1 निमेष
27 निमेष = 1 गुरू अक्षर
10 ग्ररू अक्षर = 1 प्राण
6 प्राण = 1 विघटिका
60 विघटिका = 1 घटिका (दण्ड)
60 दण्ड = 1 अहोरात्र (दिनरात)
अर्थात् एक दिन-रात (24 घण्टे) में 17496000000 त्रुटियां होती है।
या
60 तत्परस = 1 परस
60 परस = 1 विलिप्ता
60 विलिप्ता = 1 लिप्ता
60 लिप्ता = 1 विघटिका
60 विघटिका = 1 घटिका (दण्ड)
60 दण्ड = 1 अहोरात्र (दिनरात)
अर्थात् एक दिन-रात (24 घण्टे) में 46656000000 तत्परस होते हैं।
या
18 निमेष = 1 काष्ठा
30 काष्ठा = 1 कला
30 कला = 1 मुहूर्त = 2 घटी
30 मुहूर्त (60 घटी) 1 अहोरात्र (दिनरात)
30 अहोरात्र (एक माह) = 1पितृ दिवस
(इसमें कृष्ण पक्ष पितृ दिवस तथा शुक्ल पक्ष रात्रि होती है।
12 पितृ दिवस (360 दिन या 1 मानव वर्ष) = 1 दैव दिवस
(इसमें उत्तरायण दैव दिन तथा दक्षिणायन दैवरात्रि होती है।)
360 दैव दिवस (360 मानव वर्ष) = 1 दैव वर्ष
12000 दैव वर्ष (43,20,000 मानव वर्ष) = 1 दैवयुग (महायुग या चतुर्युग)
सतयुग 432000 * 4 = 1728000 वर्ष
त्रेतायुग 432000 *’3 = 1296000 वर्ष
द्वापर युग 432000 * 2 = 864000 वर्ष
कलियुग 432000 * 1 = 432000 वर्ष
एक महायुग = 4320000 वर्ष
1 मन्वन्तर = 71 * 4320000 = 306720000 वर्ष

14 मन्वन्तर = 4294080000 वर्ष
सतयुग के वर्ष प्रमाण तक पृथ्वी, जल अन्तर्गत प्रति मन्वन्तर के पूर्व और पर रहती है। इस कारण 14 मन्वन्तर में – 1728000 * 15 = 25920000
कल्प = (उक्त दोनों का योग) 4320000000 वर्ष
ब्रह्मा का एक दिन = 4320000 * 10000 = 4320000000 वर्ष

1000 महायुग (4,32,00,00,000 मानव वर्ष) = 1 ब्राह्म दिन (ब्रह्मा का दिन या कल्प सृष्टि का रचना काल)
(सृष्टि की आयु एक कल्प के बराबर होती है तथा इतना ही समय प्रलय काल है। एक सृष्टि का अन्त होकर दूसरी का निर्माण 4,32,00,00,000 मानव वर्ष के बाद होता है)
30 ब्राह्म दिन या कल्प (1,29,60,00,00,000 वर्ष) = 1 ब्राह्म मास
12 ब्राह्म मास (15,55,20,00,00,000) = 1ब्राह्म वर्ष
(एक ब्राह्म वर्ष में उपरोक्त मानव वर्ष केवल ब्रह्मा के दिनों की (कल्प) संख्या है तथा इतना ही समय उसकी रात्रि होती है, जिससे दोनों का योग 31,10,40,00,00,000 मानव वर्ष के बराबर होता है।)
100 ब्राह्म वर्ष (15,55,20,00,00,000) = 1ब्रह्मायु।
(इतने ही समय की ब्रह्मा की रात्रि होने से ब्रह्मायु का कुल मान 31,10,40,00,00,00,000 मानव वर्ष के बराबर होता है)

कल्पारम्भ में ही ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं। वर्तमान सृष्टि रचना का यह पहला कल्प है, जिसका नाम ‘श्वेत वराह’ है। इस वर्तमान कल्प का आरम्भ आज से 1972949109 मानव वर्ष पूर्व हुआ था। ब्रह्मा को इस सृष्टि रचना में 1,70,64,000 मानव वर्ष लगे। इस प्रकार आज (ई. सन् 2008) से 1,95,58,85,109 मानव वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातःकाल सूर्योदय के समय मेष राशि के आदि में जब सब ग्रह थे, यह सृष्टि अस्तित्व में आई।

कल्प गणना
एक कल्प ब्रह्मा का एक दिन होता है तथा ऐसे 30 कल्पों का ब्रह्मा का एक मास होता है। इन 30 कल्पों के नाम निम्न प्रकार हैं।

क्र. सं  शुक्ल पक्ष के कल्प  क्र. सं कृष्ण पक्ष के कल्प
1 श्वेत वराह 1 नारसिंह
2 नीला लोहित 2 समान
3 वामदेव 3 आग्नेय
4 राथन्तर 4 सोम
5 रावण 5 मानव
6 प्राण 6 तत्पुरूष
7 वृहत् 7 वैकुण्ठ
8 कन्दर्भ 8 लक्ष्मी
9 सत्य 9 सावित्री
10 ईशान 10 घोर
11 व्यान 11 वराह
12 सारस्वत 12 वैराज
13 उदान 13 गौरी
14 गरूड़ 14 माहेश्वर
15 कूर्म 15 पितृ कल्प

मन्वन्तर
एक सृष्टि की अवधि ब्रह्मा का एक दिन या ‘कल्प’ कहलाता है, जिसका मान 4,32,00,00,000 मानव वर्ष के बराबर है। इसके बाद प्रलय होती है। इस अवधि में ब्रह्मा द्वारा 14 मनु पैदा होते हैं, जिनकी प्रत्येक की अवधि 71 दैवयुग (चतुर्युग) अर्थात् 30,67,20,000 मानव वर्ष के बराबर होती है। इसके बाद नया मनु कार्य करता है। एक मनु की इस अवधि को एक ‘मन्वन्तर’ कहते हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण एक सृष्टि काल में 14 मन्वन्तर होते हैं, जिनके नाम निम्न प्रकार हैं।

क्र. सं नाम मन्वन्तर  क्र. सं नाम मन्वन्तर
1 स्वायंभुव 8 सावर्णि
2 स्वारोचिष 9 दक्षसावर्णि
3 उत्तम 10 ब्रह्म सावर्णि
4 तामस 11 धर्म सावर्णि
5 रैवत 12 रूद्र सावर्णि
6 चाक्षुष 13 दैव सावर्णि
7 वैवश्वत 14 इन्द्र सावर्णि

ये 14 मनु मिलकर ब्रह्मा का एक दिन होता है, जिनमें प्रथम सात दिन का उत्तरार्द्ध है।
दैवयुग (चतुर्युग)
एक मन्वन्तर में 71 दैवयुग होते हैं। एक चतुर्युग का मान 43,20,000 मानव वर्ष के बराबर होता है। ये 1.सत्युग, 2.त्रेतायुग, 3.द्वापरयुग तथा 4. कलियुग होते हैं।
इन युगों में कलियुग से दूगना द्वापर, तीन गुना त्रेता, तथा चार गुना सत्युग होता है। इसके अनुसार इनकी वर्ष संख्या निम्न प्रकार है।

क्र.सं  नाम युग  देववर्ष मान  मानव वर्ष 
1 सतयुग 4800 17,28,000
2 त्रेतायुग 3600 12,96,000
3 द्वापरयुग 2400 8,64,000
4 कलियुग 1200 4,32,000
एक चतुर्युगी योग  12000 43,20,000

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