गणेशजी  शाबर मंत्र

प्रयोग १ – निम्न मंत्र का पाठ प्रति दिन तीन बार करने से विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है ।
मंत्रः—
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश पाहि माम ।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश रक्ष माम ।
जय सरस्वती, जय सरस्वती जय सरस्वती पाहि माम ।
जय अम्बे, जय अम्बे, जय अम्बे, जय जननी, जय जगदीश्वरी,
मात सरस्वती, मोह विनाशनी ।।


जय अम्बे, जय अम्बे, जय जय जय जग जननी,
जय जय अम्बे । जय जगदीश्वरी माता ।
सरस्वती मोह विनाशिनी जय अम्बे ।
जय दुर्गे, जय दुर्गे, जय जय दुर्गति नाशिनी, जय दुर्गे ।
आदि शक्ति पर ब्रह्म स्वरूपिणी भव भय नाशिनी जय दुर्गे ।
अम्बा की जय-जय, दुर्गा की जय जय, सीता की जय जय, राधा की जय जय,
गायत्री की जय जय, सावित्री की जय जय, गीता की जय जय, माता की जय जय ।
जय जगद अम्बा ग्रहि कर माला, बसो हृदय में बह चर ढाला ।
काली-काली, महाकाली, भद्रकाली नमोऽस्तुते ।
देवि, देवि महादेवि, विष्णुर्देवि ! नमो नमः !!

प्रयोग 2 — नाथपंथी गणेश साधना
महाशिवरात्रि, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी या अन्य शुभ मुहूर्त पर साधना प्रारम्भ करें । साधना ब्रह्म मुहूर्त में करें । स्नानादि के बाद साधना कक्ष तक खड़ाऊं पहनकर जाएं ।
चंदन या भस्म लगाकर बैठें । साधना कक्ष में साधक के अतिरिक्त अन्य कोई व्यक्ति नहीं होना चाहिए । साधक स्वयं भी साधना समय छोड़कर अन्य समय
वहां न जाएं ।
मंत्र 1 – चिएट-चिएट प्रवृते गुरु राम चतुष्टे ह्रीं क्लीं कुर्मस्ते ।
श्री गणेश पूजन के बाद उक्त मंत्र 51 बार सोऽहम के साथ एकता करके जपें, फिर 108 बार निम्न मंत्र का जप करें –
मंत्र 2 – गणेश गणमं तद कार्य सुफलम ।
यह साधना 21 दिन तक करें । प्रेतात्मा से पीडित व्यक्ति के सिर पर हाथ रखकर 11 बार मानसिक रूप से उपरोक्त मंत्र 1. उच्चारण करने से पीड़ित व्यक्ति बोलने लगेगा एवं 13 बार मंत्र 2 से भस्म अभिमंत्रित कर देने से अभिचार दूर होता है ।

प्रयोग 3 — गौरी गणेश स्तवन शाबर मंत्
ॐ गुरुजी
ॐ कंठ बसे सरस्वती ह्रदय देव महेश भुला अक्षर ज्ञान का जोत कला प्रकाश,
सिद्ध गौरी नन्द गणेश बुध को विनायक सिमरिये बल को सिमरिये हनुमंत, ऋद्ध-सिद्ध को श्री ईश्वर महादेव जी सिमरिये, श्री गंगा गौरी पार्वती माई जी तुम्हारे कन्त उमा देवी गौरजा पार्वती भस्मन्ती देवी हिरख मन अगर कुंकुम केशर कस्तुरी मिला कूपिया तिस्ते भया, एक टीका अमर सेंचो जी जीव संचिया शक्त्त स्वरूपी हाथ धरिया नाम धारियो श्री गणपतनाथ पूता जी तुम बैठो स्थान में जावा नहावण आवण-जावण किसी को न दीजिये अंकुश मारपर संग लीजिये । बण खण्ड मध्ये से आए श्री ईश्वर महादेव छूटी ललकार ईश्वर देख बालक क्रोप भरिया ज्यो घृत बसन्तर धरिया शिवजी आणि मन सा रीस फिरयो चक्र ले गयो शीश तीन भवन से भई हलूल श्री गंगा गौरजा पार्वती माई जी आ कहने लगी स्वामी जी पुत्र मारिया तिसका कौन विचार देवी जी मै नहीं जानो तुमरा पूत मै जानो कोई दैत्य न दूत गज हस्ती का शीश लियाऊं, काट आन अलख निरंजन के पास बिठाऊं, शंकर जी ल्याये हस्ती का शीश श्री गंगा गौरजा पार्वती माई जी करी असीस जब गनपट उठन्ते खेल करन्ते, महिमा उवरन्ते गणपत बैठे स्थान मकान उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम ल्याये श्री गंगा गौरजा पार्वती माई जी के आगे स्वामी जी तुम तो सिमरे सोची मोची तेली तंबोली ठठीहरा गनिहारा लुहारा क्षेत्र सिमरे क्षेत्रपाल अजुनी शंभू सिमरे  महाकाल लाम्बी सूँड बालक भेष प्रथमे सिमरो आद गणेश पाँच कोस ऋद्ध उत्तर से ल्याऊं, पाँच कोस ऋद्ध दक्षिण से ल्याऊं, पाँच कोस ऋद्ध पूर्व से ल्याऊं, पाँच कोस ऋद्ध पश्चिम से ल्याऊं, दस कोस ऋद्ध अज गायब से ल्याऊं, इतनी ऋद्ध-सिद्ध दिये बिना न जाऊँ श्री गंगा गौरजा पार्वती माई जी तुम्हारी माया प्रथमे एक दन्त, द्वितीय मेघवर्ण, तृतीय गज करण, चतुर्थ लंबोधर, पंचमे विघ्नहरण, षष्टमे धूम्ररूप, सप्तमे विनायक, अष्टमे भालचंद्र, नवमे शील संतोष, दशमे हस्तमुख, एकादशे द्वारपाल, द्वादशे वरदायक एते गणपत गणेश नाम द्वादश सम्पूर्ण भया । श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश आदेश ।
लक्ष्मी-सरस्वती-ऋद्धि-सिद्धि के लिए अमोघ मंत्र है 108 बार रुद्राक्ष की माला से जाप करें । शिव परिवार और सरस्वती, लक्ष्मी जी की फोटो लगाकर शुद्ध देशी घी का दीपक जला कर किसी भी शुभ महूरत में सुबह भोर वेला में इसका पाठ करना चाहिये । इस पाठ के करने से हर मनोवांछित फल प्राप्त होता है ।

प्रयोग 4 — गणेश शाबर मंत्र
मन्त्रः-

ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो
दस कोस आगे जा
ढाई कोस पीछे जा
दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे
मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन
अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज !
ॐ क्राम् फट् स्वाहा !

मंत्र जप विधि
गणेश शाबर मंत्र के जप से पूर्व हर रोज गुरु पूजन और गणेश पूजन करे, गणेश जी की मूर्ति के दोनों तरफ एक एक गोमती चक्र अवश्य रखे । गणेश जी के साथ देवी रिद्धि और सिद्धि का भी पूजन करें । पूजा में प्रयास करें मूर्ति मिटटी से बनी हुई ही हो । अंतिम दिन देवी रिद्धि सिद्धि के लिए श्रृंगार का सामान गणेश मंदिर में चढ़ाये ।।

प्रयोग 5 — कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र
मन्त्रः-  “ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”
विधि-
सामग्रीः-
धूप या गुग्गुल, दीपक, घी, सिन्दूर, बेसन का लड्डू। दिनः- बुधवार, गुरुवार या शनिवार। निर्दिष्ट वारों में यदि ग्रहण, पर्व, पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ-सिद्धि योग हो तो उत्तम। समयः- रात्रि १० बजे। जप संख्या-१२५। अवधिः- ४० दिन।
किसी एकान्त स्थान में या देवालय में, जहाँ लोगों का आवागमन कम हो, भगवान् गणेश की षोडशोपचार से पूजा करे। घी का दीपक जलाकर, अपने सामने, एक फुट की ऊँचाई पर रखे। सिन्दूर और लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और प्रतिदिन १२५ बार उक्त मन्त्र का जप करें। प्रतिदिन के प्रसाद को बच्चों में बाँट दे। चालीसवें दिन सवा सेर लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और मन्त्र का जप समाप्त होने पर तीन बालकों को भोजन कराकर उन्हें कुछ द्रव्य-दक्षिणा में दे। सिन्दूर को एक डिब्बी में सुरक्षित रखे। एक सप्ताह तक इस सिन्दूर को न छूए। उसके बाद जब कभी कोई कार्य या समस्या आ पड़े, तो सिन्दूर को सात बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपने माथे पर टीका लगाए। कार्य सफल होगा।

प्रयोग 6 — सिद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र
मन्त्रः-  ॐ ग्लां ग्लीं ग्लूं गं गणपतये नम : सिद्धिं मे देहि बुद्धिं प्रकाशय ग्लूं ग्लीं ग्लां फट् स्वाहा ।

विधि :-
इस मंत्र का जप करने वाला साधक सफेद वस्त्र धारण कर सफेद रंग के आसन पर बैठ कर पूर्ववत् नियम का पालन करते हुए इस मंत्र का सात हजार जप करे| जप के समय दूब, चावल, सफेद चन्दन सूजी का लड्डू आदि रखे तथा जप काल में कपूर की धूप जलाये तो यह मंत्र, सब मंत्रों को सिद्ध करने की शक्ति प्रदान करता है |

 

 

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