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गर्भ-स्तम्भन मन्त्र

मन्त्रः-

“गौरी गण्डा दे गई, ईश्वर दे गया वाचा । महा – देव थापा घर गया, शब्द भया साँचा । दथ त्रिया की चिन्ता, मेरी दश मांस । बाँधु बीस पाख, बाँधु उसका पैर । गर्भ खिसके, तो गुरू गोरखनाथ की दुहाई । मेरी शक्ति, गुरू की शक्ति, सत्-नाम आदेश गुरू की ।”

विधि – सात बार जप कर कच्चे सूत का गण्डा बनाकर स्त्री की कमर में बाँध दे । गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है । परीक्षित है ।

 

 

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