|| गोरक्ष गायत्री ||
ॐ गुरुजी! सत् नम: आदेश ! गुरूजी को आदेश। ओऽमकारो शिव रुपी, मध्याह्ने हंसरुपी सन्ध्याया साधु रुपी, परमहंस दो अक्षर, गुरू तो गोरख काया तो गायत्री ॐ ब्रह्म, सोहम् शक्ति, शून्य माला अवगत पिता, विहंगम जात, अभय पन्थ, सूक्ष्म वेद, असंख्य शाखा, हरमुख प्रवर, निरंजन गौत्र, त्रिकुटी क्षैत्र, जुगति जोत, जल स्वरुप, रूद्र वर्ण, सर्व देव ध्यायते आये श्री शंभुजति गुरु गोरक्षनाथ, ॐ सोहम् तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षः प्रचोदयात्। ॐ इतना गोरक्ष गायत्री जाप सम्पूर्ण भया, गंगा गोदावरी त्रयम्बक क्षेत्र, कोलाचल अनुपान शिला पर सिद्धासन बैठ, नव नाथ चौरासी सिद्ध, अनन्त कोटि सिद्ध मध्ये श्री शंभुजति गुरु गोरखनाथ जी कथ पढ़ जप के सुनाया। सिद्धो गुरुवरो आदेश-आदेश।

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