August 14, 2019 | aspundir | Leave a comment ॥ चण्डेश्वर मंत्र: ॥ चण्ड व वाण नाम के असुर गणों को वरदान देने से शिव चण्डेश्वर कहलाये जाते हैं । त्र्यक्षर मंत्र: – (मंत्र कोष) “ॐ हुं फट ।” (शारदा तिलक व हिन्दी तंत्रसारे) “उर्ध्व फट् ।” ऋष्यादि – मंत्रकोष के अनुसार ऋषि त्रिक हैं, तंत्रसार में इसे त्रित लिखा है । छंद अनुष्टुप् है, एवं देवता चण्डेश्वर है । कराङ्गन्यासः- ॐ दीप्तफट अंगुष्ठाभ्यां नमः । ज्वाला (ज्वल) फट् तर्जनीभ्यां स्वाहा । ज्वालामालिनी (ज्वालिनि) फट् मध्यमाभ्यां वषट् । तत् (ज्ञेय ) फट् अनामिकाभ्यां हुं । हन फट् कनिष्ठाभ्यां वौषट् । सर्वज्वालिनि फट् करतल करपृष्ठाभ्यां फट् । जो कोष्ठक में लिखें है वे मतान्तर भेद लिखें है । हृदयादिन्यास इसी तरह करें । ध्यान ध्यायेच्चण्डेश्वरं रक्त त्रिनेत्रं रक्तवाससं चन्द्रमौलिं च विभ्राणां शूलटङ्कं कमण्डलम् । स्फटिक स्रजमाबद्ध जटाजूटं स नागकम् ॥ १ ॥ चण्डेश्वरं रक्ततनु त्रिनेत्रं रक्तांशुकाढयं हृदि भावयामि । टंकंत्रिशूलं स्फटिकाक्षमालां कमण्डलुविभ्रतमिन्दु-चूडम् ॥ २ ॥ वर्णलक्ष (तीन लाख) इस मन्त्र का जप करे, पुन: उसका दशांश पय, मधु एवं घृत इन तीन मधुर पदार्थों से मिश्रित शुद्ध किये गये तिल युक्त तण्डुलों से होम करे ॥ चण्डेश्वर के अर्चन में चार आवरणों द्वारा पूजा का विधान है । इस प्रकार साधक जब चण्ड मन्त्र सिद्ध कर लेता है तो वह शीघ्र ही धनवान् हो जाता है ॥ जो साधक इस मन्त्र से नित्य १०८ बार तर्पण करता है वह पुत्र एवं मित्र से समन्वित हो महती श्री प्राप्त करता है ॥ फूले हुये प्रियङ्गु के पुष्पों से एवं प्रियङ्गु काष्ठ से जलती हुई अग्नि में मन्त्रज्ञ साधक दस हजार आहुति प्रदान करे तो सारा का सारा नगर क्षुब्ध हो जाता है ॥ साध्यनक्षत्र के वृक्ष की छाल और नमक पीस कर चावल के पिसान में मिला देवे । तदनन्तर उसकी अत्यन्त सुन्दर पुतली बनावे और उसमें शत्रु की प्राण प्रतिष्ठा करवावे ॥ रात्रिकाल में विधि के अनुसार उस पुतली के अङ्ग को काट काट कर १०८ बार होम करे । यह क्रिया सात दिन तक निरन्तर करे तो साध्य स्वयं दास हो जाता है ॥ शिवमन्त्र से दीक्षित पुरुष चण्डेश्वर मन्त्र का जप करे । इसका तात्पर्य यह है कि जितनी संख्या में चण्डेश्वर मन्त्र का जप करे उतनी ही संख्या में शैव षड्क्षर का भी जप करे तो साधक अपनी समस्त कामनायें पूर्ण कर लेता है और इस लोक तथा परलोक में सुखी रहता है ॥ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe