चोरी न होने का मन्त्र

विधिः— उक्त मन्त्र स्वयंसिद्ध है । इसको सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है । रात को सोते समय केवल एक बार उक्त मन्त्र का सस्वर उच्चारण करने से घर में चोर प्रवेश नहीं कर सकते । यदि चोर आएँगे भी, तो बिना कुछ लिए चले जाएंगे ।

विशेष — कहीं-कहीं पहली पंक्ति को कम करके अन्त में जोड़ कर भी यह मन्त्र मिलता है ।

— ॥ मन्त्र ॥ —

“कफल्लकः कफल्लकः कफल्लकः ।
जले रक्षतु वाराहः, स्थले रक्षतु वामनः ।
अटव्यां नारसिंहश्च, सर्वतः पातु केशवः ।
जले रक्षतु नन्दीशः, स्थले रक्षतु भैरवः ।
अटव्यां वीरभद्रश्च, सर्वतः पातु शङ्करः ।
अर्जुनः फाल्गुनो विष्णुः, किरीटी श्वेतवाहनः ।
बीभत्सु विजयः कृष्णः, सव्यसाची धनजयः ।
त्रिस्रो भार्याः कफल्लस्य, दाहिनी मोहिनी सती ।
तासां स्मरणमात्रेण, चोरो गच्छति निष्फलः ।”

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