जानकी नवमी से करें शीघ्र विवाह हेतु जानकी मंगल प्रयोग
शीघ्र विवाह के लिए जहाँ गौरी और शंकर की पूजा की जाती है, वहीं दूसरी ओर जानकी और श्रीराम की भी पूजा-उपासना की जाती है । माता जानकी की कृपा से न केवल शीघ्र विवाह होता है, वरन् अच्छे वर की भी प्राप्ति होती है । तुलसीदास जी ने ‘जानकी-मंगल’ नामक पुस्तक की रचना की है, जिसका नित्य पाठ शीघ्र विवाह हेतु कारगर होता है । यह अनुभव सिद्ध प्रयोग है । इस प्रयोग के माध्यम से कुछ ही महीनों में पाठ करने वाले का विवाह हो जाता है । जानकी मंगल के पाठ का प्रयोग जानकी नवमी के दिन से आरम्भ किया जा सकता है । सर्वप्रथम माँ जानकी का निम्नलिखित श्लोक से ध्यान करना चाहिए :-


“नील-नीरज-दलायतेक्षणां लक्ष्मणाग्रज-भुजावलम्बिनीम् ।
शुद्धिमिद्धदहने प्रदित्सतीं भवये मनसि रामवल्लभाम् ॥”

नील कमल-दल के सदृश जिनके नेत्र हैं, जिन्हें श्रीराम की भुजा का ही अवलम्बन है, जो प्रज्वलित अग्नि में अपनी पवित्रता की परीक्षा देना चाहती हैं, उन रामप्रिया श्रीसीता की मैं मन-ही मन में भावना (ध्यान) करता हूँ ।


इसके पश्चात् निम्नलिखित मन्त्रों से मानस पूजा करनी चाहिए –
ॐ लं पृथ्वीतत्त्वात्मकं गन्धं श्रीजानकीप्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ हं आकाशतत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीजानकीप्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ यं वायुतत्त्वात्मकं धूपं श्रीजानकीप्रीतये आघ्रापयामि नमः।
ॐ र अग्नितत्त्वात्मकं दीपं श्रीजानकीप्रीतये दर्शयामि नमः।
ॐ वं जलतत्त्वात्मकं नैवेद्यं श्रीजानकीप्रीतये निवेदयामि नमः।।
ॐ सं सर्वतत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीजानकीप्रीतये समर्पयामि नमः।

इसके पश्चात् ‘जानकीमंगल’ का पाठ करना चाहिए । जानकी मंगल के पाठ के उपरान्त सीताजी के निम्नलिखित मन्त्र का यथाशक्ति जप करना
चाहिए -: ‘श्रीं सीतायै नमः।’

 

 

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