September 23, 2015 | aspundir | 1 Comment तन्त्रोक्त कवच संस्कार ‘तन्त्रों’ के अनुसार ‘कवच’ को भोज-पत्र आदि पर लिखकर रक्त-सूत्र (लाल-रेशमी डोरे) या श्वेत-सूत्र (सफेद-रेशमी डोरे) से लपेटे । तब स्वर्ण, रजत, ताम्र आदि धातु की ‘गुटिका’ (ताबीज) में उसे स्थापित करे । इस गुटिका को शुभ दिन ‘पञ्च-गव्य’ और ‘पञ्चामृत’ द्वारा स्नान कराए। स्नान कराते समय मूल-मन्त्र का जप करता रहे। इसके बाद निम्न मन्त्र से गुटिका की पूजा करे – “ॐ देवता-कृपायै कवच-गुटिकायै नमः।” फिर ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ द्वारा कवच की ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ करे। उसके बाद ‘कुल-कुण्डलिनी’ का ध्यान कर कवच में उसकी स्थापना करे। तब कवच में देवता की पूजा करे। इस प्रकार शोधित कवच को कण्ठ आदि में धारण करे। इससे अभीष्ट सिद्धि मिलती है। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe
Pranam instead of the word amuki should I replace with the name of the yakshini say dhanada also please let me know if you can provide shodhit dhanada kavach Reply