दया धर्म का मूल

एक फ्रेंच लड़का रोलफेनस् जंगली जानवरों से, खास करके पक्षियों से बहुत प्रेम करता था । उसका सबसे अधिक प्यार था, आकाश में गाती हुई उड़ने वाली लवा (Skylark) नामक चिड़िया से । एक दिन वह रास्ते से जा रहा था, उसको लार्क का संगीत सुनाई पड़ा । उसने आस-पास देखा, तो उसे दिखायी दिया कि एक चिड़िया बेचने वाले के पिंजरे से यह ध्वनि आ रही है । उसे लगा – इस गान में दुःख भरा है । वह चिड़िया बेचने वाले के पास गया, तो उसे पता लगा कि वहाँ के लोग इस चिड़िया का माँस खाना बहुत पसन्द करते हैं और वह इसीलिये इसे बेचने आया है । लड़के ने उसके दाम पूछे, पर उतने पैसे उसके पास नहीं थे । Alauda_arvensis

लड़के ने उससे कहा, ‘भाई ! तुम ठहरो, मैं अभी घर से पैसे लेकर आता हूँ ।’ उससे यों कहकर लड़का दौड़ता हुआ घर गया । दोपहर की बड़ी तेज धूप पड़ रही थी । घर जाने पर पता लगा कि माँ बाहर गयी है और वे भोजन के समय से पहले नहीं लौटेंगी । रोलफेनस् को बड़ा दुःख हुआ । उसने सोचा तब तक तो वह लार्क बिक जायेगी और काट भी दी जायेगी । उसे दयालु धर्मगुरु जैक्कस (Father Zaeques) – की याद आयी और वह तुरन्त दौड़ता हुआ श्री जैक्कस के पास पहुँच गया । बड़ी तेज धूप थी और उसके सिर में दर्द हो रहा था, पर उसने कुछ भी परवाह नहीं की । रोलफेनस् ने सारा हाल सुनाकर पादरी महोदय से बड़े करुण स्वर में कहा कि, ‘शीघ्र पैसे नहीं मिलेंगे तो लार्क के प्राण बचने सम्भव नहीं है ।’ दयालु पादरी जैक्कस महोदय ने रुपये देते हुए लड़के से कहा – ‘तुम इस कड़ी धूप में दौड़-धूप करके बीमार हो गये हो, मैं तुम्हे इसी शर्त पर रुपये देता हूँ कि तुम तुरन्त चिड़िया खरीदकर ले जाओ और सीधे घर जाकर आराम से पलंग पर लेट जाओ ।’
लड़के ने शर्त स्वीकार कर ली और रुपये लेकर तुरंत वह चिड़िया बेचने वाले के पास पहुँचा । जाकर देखा, तो एक मेम साहिबा लार्क को खरीदने के लिये मोल-तोल कर रही थी और उनके मुँह में पानी आ रहा था । रोलफेनस् ने तुरंत रुपये हाथ में देकर बेचने वाले से पिंजरा ले लिया । लार्क को मानो प्राणरक्षक प्रेमी बन्धु मिल गया । वह पिंजरा लिये घर पहुँचा और घर में घुसते-घुसते गरमी के कारण बेहोश होकर बाहर बगीचे के दरवाजे पर गिर पड़ा ।
पादरी महोदय को लड़के की बड़ी चिन्ता थी । वे देखने आये, तो देखा बेहोश लड़के के बिछौने के पास बैठी उसकी माँ भयभीत हुई रो रही है । पादरी ने उसको धीरज दिया और कहा – ‘तुम घबराओ नहीं, जो दूसरों को बचाता है, उसे भगवान् बचाते हैं ।’ लड़के ने एक बार आँखें खोलीं, पर वह फिर बेहोश हो गया । होश आने पर उसने देखा ‘लार्क पक्षी का पिंजरा टेबल पर रखा है और वह ऐसा मीठा स्नेह भरा करुण गीत गा रही है ।’
कुछ देर में लड़का स्वस्थ हो गया और उसने उठकर पिंजरे को बड़ी खिड़की के पास ले जाकर उसका दरवाजा खोल दिया । पक्षी गाता हुआ मुक्त आकाश में उड़ चला । वह अपनी प्रेमभरी चितवन से अपने प्राणरक्षक उस लड़के की ओर कृतज्ञता भरे हृदय से देखता गया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.