August 30, 2019 | aspundir | Leave a comment ॥ अथ दशाक्षर क्षिप्रप्रसादगणपति (विघ्नराज) मंत्र ॥ मन्त्र – गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः । क्षिप्र प्रसाद गणपति का पूजन श्रीविद्या ललिता सुन्दरी उपासना में मुख्य है । इनके बिना श्री विद्या अधूरी है। जो साधक श्री साधना करते हैं उन्हें सर्वप्रथम इनकी साधना कर इन्हें प्रसन्न करना चाहिए। कामदेव की भस्म से उत्पन्न दैत्य से श्री ललितादेवी के युद्ध के समय देवी एवं सेना के सम्मोहित होने पर इन्होंने ही उसका वध किया था। इनकी उपासना से विघ्न, आलस्य, कलह़, दुर्भाग्य दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विनियोगः- ॐ अस्य श्री क्षिप्र प्रसाद गणपति मंत्रस्य गणक ऋषिः । विराट् छन्दः, क्षिप्र प्रसादनाय देवता, गं बीजं, आं शक्तिं, सर्वाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । करन्यास अंग न्यास ॐ गं अंगुष्ठाभ्यां नमः । हृदयाय नमः । ॐ गं तर्जनीभ्यां नमः । शिरसे स्वाहा । ॐ गं मध्यमाभ्यां नमः । शिखायै वषट् । ॐ गं अनामिकाभ्यां नमः । कवचाय हुम् । ॐ गं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । नैत्रत्रयाय वौषट् । ॐ गं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । अस्त्राय फट् । ध्यानम् पाशांकुशौ कल्पलतां विषाणं दधत् स्वशुण्डाहित बीजपूरः । रक्तस्त्रिनेत्रस्तरुणेन्दु मौलिर्हारोज्ज्वलो हस्तिमुखोऽवताद् वः ॥ रक्त वर्ण, पाश, अंकुश, कल्पलता हाथ में लिए वरमुद्रा देते हुए, शुण्डाग्र में बीजापुर लिए हुए, तीन नेत्र वाले, उज्ज्वल हार इत्यादि आभूषणों से सज्जित, हस्ति मुख गणेश का मैं ध्यान करता हूं। यंत्रार्चनम् :- यंत्र देवता वक्रतुण्ड गणेश के ही है, प्रथमावरणम् – षट्कोण में हृदयशक्ति, शिरशक्ति, शिखाशक्ति, कवचशक्ति, नेत्रशक्ति एवं अस्त्रशक्ति का पूजन करें । द्वितीयावरणम् – अष्ट दलों में निम्न (क्षिप्रप्रसाद स्वरूपों का पूजन करे – ॐ विघ्नाय नमः ॥ १ ॥ ॐ विनायकाय नमः ॥ २ ॥ ॐ शूराय नमः ॥ ३ ॥ ॐ वीराय नमः ॥ ४ ॥ ॐ वरदाय नमः ॥ ५ ॥ ॐ इभक्त्राय नमः ॥ ६ ॥ ॐ एकरदाय नमः ॥ ७ ॥ ॐ लंबोदराय नमः ॥ ८ ॥ तृतीय व चतुर्थावरण में इसके बाद भूपूर में इन्द्रादि लोकपालों व आयुधों की पूर्व यंत्रार्चन विधि अनुसार करें । चार लाख जप कर, चालीस हजार आहुति मोदक से तथा नित्य चार सौ चवालीस (444) तर्पण करने से अपार धन-संपत्ति प्राप्त होती है । तर्पण में नारियल का जल या गुड़ोदक प्रयोग कर सकते हैं । त्रिकाल (सुबह-दोपहर-संध्या) को जप का विशेष महत्व है । अंगुष्ठ बराबर प्रतिमा बनाकर श्री क्षिप्रप्रसाद गणेश यंत्र के ऊपर स्थापित कर पूजन करें । श्री गणेश शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं । Please follow and like us: Related