October 24, 2015 | aspundir | Leave a comment दीन-दयालु दिवाकर देवा दीन-दयालु दिवाकर देवा । कर मुनि, मनुज, सुरासुर सेवा ।। हिम-तम-करि-केहरि करमाली । दहन दोष-दुख-दुरित-रुजाली ।। vadicjagat कोक-कोकनद-लोक-प्रकासी । तेज-प्रताप-रुप-रस-रासी ।। सारथि-पंगु, दिव्य रथ-गामी । हरि-संकर-बिधि-मूरति स्वामी ।। बेद-पुरान प्रगट जस जागै । तुलसी राम-भगति बर माँगै ।। दीन-दयालु दिवाकर देवा । कर मुनि, मनुज, सुरासुर सेवा ।। Please follow and like us: Related