November 27, 2018 | aspundir | Leave a comment धनप्राप्ति यंत्र इसकी साधना के लिए बैशाख, ज्येष्ठ, कार्तिक, मार्गशीर्ष तथा माघ मास सबसे उत्तम है। तिथियाँ – द्वितीया, पंचमी, सप्तमी, नवमी, द्वादशी तथा त्रयोदशी श्रेष्ठ हैं। वार – बुधवार, बृहस्पति, शुक्रवार सबसे अच्छे हैं। नक्षत्र – रोहिणी, पुनर्वस, हस्त, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, तथा रेवती शुभ है। स्थान – नदी तट, देवी मन्दिर, पहाड़ की गुफा, झरने का किनारा । सामग्री – कुंकुम, अबीर,गुलाल-लाल, पीलेहरे, नीलेव सफेद रंग की, मोली, सुपारी, साबुत-गोला, केशर, बताशे, दूध, प्रसाद, कपूर, छोटी इलायची, यज्ञोपवीत, नारियल, चावल, बादाम, अगरबत्ती, लौंग, काली मिर्च, शहद, फल, इत्र, दीपक, दही, घी-शुद्ध शक्कर, पान, भोजपत्र, पुष्प, गंगाजल, कूप का जल, कमल गट्टे, तांबे का कलश। स्थान को साफ करके गाय के गोबर में लीपें। फिर भिन्न-भिन्न रंगों के गुलाल से चक्र अंकित करें। खाली स्थान पर अपना नाम लिखें। जल से भरकर तांबे का कलश इस पर रख दें। तांबे के कलश पर लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। यह पूजन कम-से-कम पांच दिन और अधिक-से-अधिक इक्कीस दिन तक करें। गणपति की पूजा करें। फिर इस यंत्र की पूजा करें। प्रथम कलश-पूजन नवग्रह पूजन और षोडश मातृका का पूजन करें। आम की लकड़ी जलाकर ऊपर लिखी सामग्री में हवन करते हुए एक सौ आठ बार निम्नलिखित मंत्र का पाठ करें- Content is available only for registered users. Please login or register Related