धन-तेरस पर धनदायक प्रयोग

प्रयोग १
धन तेरस को बड़हल (इस फल को खड़-बड़ल भी कहते हैं) खरीद कर लाएँ । धनतेरस को ही शुक्र की होरा में फल को चाकू से चीरकर उसमें थोड़ी-सी चाँदी घुसाकर रखदें ।

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दीपावली रात्रि से पहले किसी सुनार से इस चाँदी के अपनी अनामिका या कनिष्ठिका के नाप का छल्ला बनवा लें । इसे कच्चे दूध, गंगाजल से धोकर दीपावली की होने वाली पूजा में रख दें । लक्ष्मी-गणेश पूजा के साथ-साथ इस छल्ले की भी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें । इसके बाद प्रत्येक पूर्णिमा को इसे गंगाजल, तुलसी तथा कच्चे दूध मिश्रित जल से धोकर धारण करते रहें ।

प्रयोग २
धनतेरस को थोड़ी-सी नागकेसर, एक ताँबे का सिक्का, अखण्डित हल्दी की एक गाँठ, एक मुट्ठी नमक, एक बड़ी हरड़, एक मुट्ठी गेहूँ और चाँदी या ताँबे की एक जोड़ा छोटी-सी पादुकाएँ लें । यह समस्त सामग्री हल्दी से रंगे एक स्वच्छ पीले कपड़े में बाँध लें । बुध की होरा में यह कपड़ा अपने रसोईघर में कहीं ऐसे स्थान पर टाँग दें, जहाँ जल्दी किसी अनजान व्यक्ति की दृष्टि उस पर न पड़े ।
तीसरे दिन पड़ने वाली दीपावली की रात्रि लक्ष्मी जी की पूजा के पश्चात् टंगी हुई, उस पोटली पर एक चुटकी पिसी हल्दी डालकर ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र की एक माला जपें । इसके बाद नित्य सायंकाल पोटली के पास जाकर यथा-भक्ति धूप-दीप जलाएँ और उक्त मंत्र की एक संख्या निश्चित करके जप करते रहें ।

अगले वर्ष धनतेरस को यह पोटली समस्त सामग्री बदल कर उपरोक्त विधि से पूजा-अर्चना करके पुनः यथास्थान टाँग दें । इस प्रयोग से पूरे वर्ष घर में अन्नपूर्णा की कृपा के साथ-साथ सुख और शान्ति का वातावरण बना रहेगा ।

यह प्रयोग दीवाली के अतिरिक्त किसी गुरु-पुष्य नक्षत्र से भी प्रारम्भ किया जा सकता है।

प्रयोग ३
दीपावली से पूर्व धनतेरस को किसी भी समय कुछ कचनार के पत्ते तथा नागकेसर ले आइए । उसी दिन एक चाँदी की छोटी-सी डिब्बी भी ले आइए । दीवाली की रात्रि तीनों वस्तुओं की लक्ष्मी स्वरुप मानकर श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें । इसके बाद पत्ते तथा नागकेसर डिब्बी में बन्द करके घर या दुकान में किसी अलमारी या पैसे रखने के स्थान में रख दें ।

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One comment on “धन-तेरस पर धनदायक प्रयोग

  • आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (09-11-2015) को आतिशबाजी का नहीं, दीपों का त्यौहार–चर्चा अंक 2155 (चर्चा अंक 2153) पर भी होगी।

    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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