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धूमावती-प्रयोग
यह प्रयोग अत्यन्त भय – कारक है । विचार पूर्वक इस मन्त्र का प्रयोग करना चाहिए । अभी तक यह मन्त्र गोपनीय रहा ।
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Dhumavati
विधिः- छोटा तिनको का सूप (छाज) बनाए । एक छटाँक शराब व बकरे का थोड़ा कच्चा मांस ले । अमावास्या की रात्रि में श्मशान जाए । वहीं से एक कफन का टुकड़ा प्राप्त कर, जलती चिता के समीप बैठे । उक्त मन्त्र को १००८ बार जपे । जप कर इसी मन्त्र का उच्चारण करते हुए चिता की भस्म उठाए । भस्म में थोड़ी शराब मिलाकर, कफन के टुकड़े पर अपनी तर्जनी अँगुली से उक्त मन्त्र को लिखे । रिक्त स्थान पर शत्रु का नाम लिखे, फिर उस पर मांस का एक टुकड़ा रख दे । चार तह बना ले । इसके पश्चात् सूप में मांस रखकर शराब उड़ेल दे । मन्त्र पढ़कर चिता में रख दे । तब कफन के टुकड़े को लेकर शत्रु के यहाँ डाल आए । शत्रु का नाश होगा ।
यह ध्यान रहे कि मन्त्र के रिक्त स्थान में शत्रु का नाम बोला जाएगा ।

विशेषः- इस प्रकार के मन्त्र उग्र प्रकृति के होते है। स्व-रक्षा व गुरु निर्देशन के अभाव में प्रयुक्त करना हानिकारक है तथा सामाजिक व नैतिक दृष्टि से अनुचित भी। यहाँ पर मात्र प्राचीन विद्या के संरक्षण हेतु प्रस्तुत किये जा रहे हैं ।

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