December 29, 2015 | aspundir | Leave a comment नजर, बुखार में राम-बाण : शाबर मन्त्र :- ‘लोहार, लोहरवा की बेटी ! तोर बाप का करत हय ?’ ‘कोइला काटत हय ।’ ‘ओ कोइला का करी ?’ ‘छप्पन छुरा गढ़ी ।’ ‘ओ छुरा का करी ?’ ‘डीठ काटी, टोना काटी और काटी टापर ।’ दोहाई गुरु धनन्तर की । लोना चमारिन की दोहाई । महा-देव पार्वती की दोहाई । दोहाई महावीर हनुमान की । तैंतीस कोटि देवतन की दोहाई । मेरी भक्ती, गुरु की शक्ती । फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा । विधि :- किसी भी ‘एकादशी’ को गुड़-घी का होम कर उक्त मन्त्र को सात बार पढ़ने से वह सिद्ध हो जाता है । नजर, बुखार आदि को उतारने की विधि यह है कि ‘राई’ या ‘सरसों’ लेकर रोगी. के सिर से पैर तक झारे और ‘राई’ को अग्नि में डाले । एक बार पढ़े और एक चुटकी राई प्रत्येक बार मन्त्र पढ़कर अग्नि में डाले । इस प्रकार सात बार मन्त्र पड़े और अग्नि में ‘राई’ छोड़ता जाय । तुरन्त ही नजर, ज्वर आदि का दोष उतर जाता है । बिलकुल ‘राम-बाण’-जैसा फल-दायक ‘शाबर मन्त्र’ है । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe