January 9, 2016 | Leave a comment ‘नव नाथ’ कृपा नाथ-पन्थ में ‘श्रीनवनाथ-भक्ति-सार’ ‘श्रीनाथलीलामृत’ आदि अनेक ग्रन्थ हैं । किसी भी ग्रन्थ का विधि-पूर्वक और सङ्कल्प- पूर्वक पारायण रात्रि में करें । निर्बल हृदय साधक इस साधना को न अपनाएँ । पारायण काल में किसी भी दशा में आसन छोड़कर भागना नही चाहिए । साथ ही पारायण-पूर्ति तक ‘अखण्ड’ दीप होना चाहिए । ‘दीप’ बुझना नही चाहिए इस बात का विशेष ध्यान रहे । साधन – काल मे भयावह दृश्य दिखते हैं, यह सत्य है । साधना पूर्ण होने के बाद ‘नव नाथ’ की पूर्ण कृपा होती है । उनके दर्शन भी हो सकते हैं । Related