नवरात्र में करें शत्रु-शमन
नवरात्रों में माँ दुर्गा की उपासना प्रायः सभी हिन्दुधर्मावलम्बी करते हैं, लेकिन उस उपासना को विशेष विधि के अनुसार किया जाए तो, उपासना के साथ-साथ मनोकामना की भी पूर्ति की जा सकती है।
आधुनिक प्रतिस्पर्द्धी युग में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष शत्रु होना स्वाभाविक है। शत्रुओं के भय से मुक्ति तथा शत्रुओं से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ये उपासना लाभदायक है।mahishasur mardini
नवरात्र में प्रथम दिन नव-दुर्गा यन्त्र की स्थापना करके उसकी विधिवत् पूजा करें। तदुपरान्त श्रीदुर्गा-सप्तशती का निम्नानुसार सात दिनों में पाठ पूर्ण करें।
प्रथम दिन तीसरे चौघड़िये में प्रथम अध्याय के प्रथम १०० श्लोकों का पाठ करें।
दूसरे दिन आठवें चौघड़िये में प्रथम अध्याय के शेष चार श्लोक, द्वितीय अध्याय के समस्त ४४ श्लोक तथा तृतीय अध्याय के २८वें श्लोक तक पाठ करें।
– तीसरे दिन दूसरे चौघड़िये में तृतीय अध्याय के शेष १६ श्लोक, चतुर्थ अध्याय के समस्त ४२ श्लोक तथा पँचम अध्याय के प्रथम ८२ श्लोकों का पाठ करें।
– चौथे दिन सातवें चौघड़िये में पँचम अध्याय के शेष ४७ श्लोक, षष्ठ अध्याय के १३ श्लोक तक पाठ करें।
– पाँचवें दिन पाँचवें चौघड़िये में षष्ठ अध्याय के शेष ११ श्लोक, सप्तम अध्याय के समस्त २७ श्लोक तथा अष्टम अध्याय के समस्त ६३ श्लोकों का पाठ करें।
– छठे दिन छठे चौघड़िये में श्रीदुर्गा-सप्तशती के नवम अध्याय के समस्त ४१ श्लोक, दशम अध्याय के समस्त ३२ श्लोक तथा एकादश अध्याय के प्रथम ३५ श्लोकों का पाठ करें।
– नवरात्र के सातवें दिन चतुर्थ चौघड़िये में एकादश अध्याय के शेष २० श्लोक, द्वादश अध्याय के समस्त ४० श्लोक तथा त्रयोदश अध्याय के समस्त श्लोकों का पाठ करना चाहिए।
– नवरात्र के आठवें दिन आठ माला नवार्ण मन्त्र का जप करें।
– नवरात्र के नवें दिन नौ माला नवार्ण मन्त्र का जप करें।

यह अवश्य ध्यान रखें कि प्रत्येक दिन उक्त विधान के अनुरुप दुर्गा-सप्तशती के पाठ करने से पूर्व कवच, अर्गला, कीलक का पाठ करना चाहिए तथा अंत में नवार्ण मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए।

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