October 17, 2015 | aspundir | Leave a comment नव-दुर्गा-स्तुति अमर-पति-मुकुट-चुम्बित-चरणाम्बुज-सकल-भुवन-सुख-जननी। जयति जगदीश-वन्दिता सकलामल-निष्कला दुर्गा।।१ विकृत-नख-दशन-भूषण-रुधिर-वसाच्क्षुरित-खड्ग-कृत-हस्ता। जयति नर-मुण्ड-मण्डित-पिशित-सुरासव-रता चण्डी।।२ प्रज्वलित-शिखि-गणोज्ज्वल-विकट-जटा-बद्ध-चन्द्र-मणि-शोभा। जयति दिगम्बर-भूषा सिद्ध-वटेशा महा-लक्ष्मीः।।३ कर-कमल-जनित-शोभा पद्मासन-बद्ध-वदना च। जयति कमण्डलु-हस्ता नन्दा-देवी नतार्ति-हरा।।४ दिग्-वसना विकृत-मुखा फेतकारोद्दाम-पूरित-दिगौघा। जयति विकराल-देहा क्षेम-करी रौद्र-भावस्था।।५ क्षोभित-ब्रह्माण्डोदर-स्व-मुख-स्वर-हुं-कृत-निनादा। जयति मही-महिता सा शिव-दूत्याख्या प्रथम-शक्तिः।।६ मुक्ताट्टहास-भैरव-दुस्सह-रव-चकित-सकल-दिक्-चक्रा। जयति भुजगेन्द्र-बन्धन-शोभित-कर्णा महा-रुण्डा।।७ पटु पटह-मुरज-मर्दल-झल्लरि-काराव-नर्तितावयवा। जयति मधु-वृत-रुपा दैन्य-हरी भ्रामरी देवी।।८ शान्ता-प्रशान्त-वदना सिंह-रथा ध्यान-योग-सन्निष्ठा। जयति चतुर्भुज-देहा चन्द्र-कला चन्द्र-मंगला देवी।।९ पक्ष-पुट-चञ्चु-घातैः सञ्चूर्णित-विवुध-शत्रु-संघाता। जयति शित-शूल-हस्ता बहु-रुपा रेवती रौद्रा।।१० पर्यटति शक्ति-हस्ता पितृ-वन-निलयेषु योगिनी-सहिता। जयति हर-सिद्धि-नाम्नो हरि-सिद्धि-वन्दिता सिद्धैः।।११ Related