August 2, 2015 | Leave a comment परीक्षा में सफलता हेतु टोटके १॰ ब्राह्मी बूटी को गले में धारण करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा शिक्षा के प्रति एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। २॰ विद्यार्थी को ऐसे स्थान पर बैठकर नहीं पढ़ना चाहिए, जहाँ पर बाहर की वायु का प्रवाह सीधे विद्यार्थी तक पहुँचता हो, अर्थात् द्वार एवं खिड़की के समीप बैठकर नहीं पढ़ना चाहिए। ३॰ विद्यार्थियों को अपने कक्ष में हरे पर्दे अथवा हरे टेबल कवर प्रयोग करने चाहिए। ४॰ किसी पुस्तक का अध्ययन करने से पूर्व उस पुस्तक को ससम्मान अपने मस्तक से लगाना चाहिए। यदि पुस्तक खंडित हो, तो ऐसी पुस्तक के अध्ययन से एकाग्रता भंग होती है। खाते-पीते हुए अध्ययन नहीं करना चाहिए। चाय एवं सिगरेट पीते समय भी अध्ययन नहीं करना चाहिए। ५॰ गंदे हाथों से गंदे स्थानों पर पुस्तक नहीं रखनी चाहिए। अध्ययम करते समय अन्य कार्य नहीं करने चाहिए। समय-समय पर पुस्तकों की साफ-सफाई एवं देखभाल करनी चाहिए। ६॰ कुछ समय के लिए पुस्तकों को धूप में रखना चाहिए। इससे सूर्य का प्रभाव प्रबल होता है। विशेष रुप से जिन जातकों की कुण्डली में सूर्य-बुध का योग हो, सूर्य के प्रकाश में अध्ययन करने से वे शीघ्र ही विषय में पारंगत होते हैं। ७॰ यदि अध्ययन कक्ष पृथक् नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख दीवार की ओर रहे। कोने में विद्यार्थी को नहीं बैठना चाहिए। विशेष रुप से दीवार की ओर मुख करके बैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। ८॰ विद्यार्थी को बासी भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति रचनात्मक कार्यों एवं विचारों से पृथक् रहते हैं। ९॰ विद्यार्थी को अपने कानों को बालों से नहीं ढ़कना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित तथा लापरवाह हो जाते हैं। १०॰ यदि अध्ययन के प्रति एकाग्रता कम हो रही हो तो नवग्रहों के रंग के अनुसार नौ अकीक हरे वस्त्र में बाँधकर विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष में रखना चाहिए तथा प्रत्येक बुधवार को उन्हें देखकर पुनः बाँध देना चाहिए। ११॰ फेंगशुई के अनुसार जिस विद्यार्थी के कक्ष में एज्युकेशन टावर (Education Tower) होता है, उसे शिक्षा में निरन्तर सफलता प्राप्त होती है। एज्युकेशन टावर को समतल स्थान में रखना चाहिए, उसे किसी आलमारी में बंद करके नहीं रखना चाहिए। १२॰ विद्यार्थी को अध्ययन कक्ष में पूर्व-उत्तर (ईशान) में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए तथा प्रतिदिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर माता सरस्वती के चित्र के सम्मुख निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार जप करना चाहिए। “ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः।” १३॰ जुते पहन कर अध्ययन कक्ष में नहीं पढ़ना चाहिए। अध्ययन कक्ष की टेबल पर ताश, शतरंज आदि अन्य खेल नहीं खेलना चाहिए। १४॰ परीक्षा के लिए जाते समय पूज्य व्यक्तियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए तथा घर के पूजाघर में गौघृत का दीपक जलाकर जाना चाहिए। १५॰ परीक्षाओं के दौरान घर में भूमि पर शयन करना चाहिए। १६॰ परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थी के कक्ष के द्वार पर नीम की डाली लगानी चाहिए। १७॰ मेष राशि वाले विद्यार्थी स्कूली शिक्षा की अपेक्षा उच्च शिक्षा में अधिक रुचि रखते हैं। जिन जातकों का अध्ययन के प्रति उत्साह कम हो, उन्हें निम्न उपचारों में से कोई एक करना चाहिए, जिससे अध्ययन के प्रति उत्साह बढ़ेगा। उपाय – लाल चंदन का तिलक लगाएं, “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का एक या चार बार उच्चारण कराएं, स्कूल जाते समय गुलाबी रुमाल साथ में रखें। वृष राशि के विद्यार्थी प्रतिभाशाली होते हैं। अध्ययन में इनकी रुचि होती है, लेकिन इन्हें एक अच्छे गुरु , मार्गदर्शक और प्यार की जरूरत होती है ये रचनात्मक होते हैं। इनके लिए ये उपाय करें। उपाय – शिव “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 11 बार उच्चरण करना चाहिए, नृत्यमुद्रा के शिव, गणोश या कृष्ण का चित्र बैग में रखना चाहिए, कुलदेवी को या माता को प्रणाम करके जाएं। मिथुन राशि के विद्यार्थियों को स्कूल में मददगार के रूप में अच्छे साथी की जरूरत होती है, जो इनकी समय-समय पर मदद कर सके। अगर वह टीचर से डरे एवं सहमे रहते हैं, तो इन्हें स्कूल जाते समय गुलाब का फूल या फूल का चित्र टीचर को देने के लिए दें। उपाय – हरा रुमाल साथ में रखें, “ॐ कपिलाय नमः” मंत्र का पांच बार उच्चारण कराएं, रोली का तिलक लगाकर भेजें। कर्क राशि के विद्यार्थी चंचल होते हैं। इनकी मित्रों का समूह बनाकर रहने की आदत होती है। ये प्रतिभाशाली होते हुए भी कई बार प्रमाद कर देते हैं। उपाय – “ॐ सुमुखाय नमः” मंत्र का उच्चारण कराकर स्कूल भेजना चाहिए, मिश्री खिलाकर भेजें, सफेद चंदन का तिलक लगाकर भेजें, आचार साथ में न रखें। सिंह राशि के विद्यार्थी उत्साही एवं शरारती होते हैं। ऊपर से समझदार, लेकिन खतरों से खेलने वाले होते हैं। इनके लिए लंबी बैठक में पढ़ना बड़ा मुश्किल होता है। ये स्वयं ही अध्ययन की ओर झुकते हैं। उपाय – “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का उच्चारण करके प्रात: सूर्य के दर्शन करें, शहद खाकर जाएं, रोली का तिलक लगाएं। कन्या राशि वाले विद्यार्थी टीचर से बहुत डरते हैं। गरिमामय होते हैं किंतु शरारत इनका स्वभाव होता है। ये छोटी सी चीज मिलने पर खुश हो जाते हैं, लेकिन याद रखने और रटने से कतराते हैं। हालांकि इन्हें पठन-पाठन में कोई समस्या पेश नहीं आती। उपाय – “ॐ विकटाय नमः” मंत्र का उच्चारण करके विद्यालय जाना चाहिए, सौंफ व मिश्री खाकर निकलें, सरस्वती के चित्र को साथ रखना चाहिए, मोरपंखी का पत्ता बैग में रखकर स्कूल जाना चाहिए, दूर्वांकुर पुस्तक में रखनी चाहिए। तुला राशि के विद्यार्थी खेल में विशेष रुचि लेते हैं। कैरम, शतरंज और इंटरनेट गेम इन्हें पसंद होते हैं, लेकिन अध्ययन में दिशा-निर्देश मिलने पर नया कीर्तिमान भी स्थापित कर सकते हैं। उपाय – दही मिश्री खाकर जाएं, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 11 बार उच्चारण करके जाएं, अपने हाथ से माता-पिता को फल देकर प्रणाम करें, शिवजी के चित्र को साथ रखें। वृश्चिक राशि वाले विद्यार्थी भावुक होते हैं। कई बार इनके नेत्रों में आंसू भी आ जाते हैं। इन्हें डर बहुत लगता है पर अकेले रहने पर शरारत करते हैं। स्कूल में कम, टीवी और कंप्यूटर में ज्यादा रुचि रखते हैं। उपाय – केसर-चंदन का तिलक लगाकर जाएं, ध्यानमुद्रा में बैठे हनुमानजी का चित्र साथ में रखें या दर्शन करके जाएं, “ॐ विनायकाय नमः” का मंत्र उच्चारण करके जाएं, खोपरा मिश्री खाकर निकलें। धनु राशि वाले प्राय: खिलाड़ी एवं मेधावी भी होते हैं। शुरू-शुरू में अध्ययन से कतराते हैं, पर फिर धुन सवार हो जाती है। कुछ को पढ़ने से अरुचि भी हो जाती है। उपाय – गायत्री मंत्र का उच्चारण करके निकलें, श्री कृष्ण के बंसी बजाते हुए चित्र को पुस्तक में रखें, दूर्वांकुर गणोशजी को चढ़ाकर जाएं, पीले रंग का रूमाल साथ में रखें। मकर राशि वाले बालक गंभीर दिखते हैं, लेकिन होते शरारती हैं। इन्हें पढ़ाने व समझाने में टीचर को पसीना आ जाता है, लेकिन ये अपने आप बहुत जल्द और अच्छे से समझ पाते हैं। उपाय – मोर का गोल पंख पुस्तकों में रखें, तुलसीपत्र खाकर जाएं, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उच्चारण करके जाएं, नीला रुमाल साथ रखें। कुंभ राशि के बालक अध्ययन काल में लिखने-पढ़ने से कतराते हैं, लेकिन समय के साथ इनमें बदलाव आ जाता है। सुलेख ठीक होता है। अपना काम अभिभावकों से कराना पसंद करते हैं। प्रतिष्ठा की ज्यादा चिंता रहती है। उपाय – “ॐ जूँ सः” मंत्र का उच्चारण करके निकलें, उगते सूरज को प्रणाम करें, भुने चने व गुड़ खाकर निकलें। हनुमानजी का स्मरण करें। काले रंग का रुमाल साथ रखें। मीन राशि वाले विद्यार्थी अपने दोस्तों से चर्चा करने व खेलने में समय बर्बाद करते हैं। ये मेधावी होते हैं, लेकिन कम मेहनत करके अधिक पाना चाहते हैं। उपाय – पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, मिश्री) खाकर निकलें, दादा-दादी या बुजुर्गो का आशीर्वाद लेकर निकलें, “ॐ महा सरस्वत्यै नमः” मंत्र का उच्चारण करके जाएं, हल्के आकाशी नीले या हल्के पीले रंग का रुमाल साथ रखें। Related