September 29, 2015 | Leave a comment प्रार्थना- तेरी पोर पै परयो रहूँ मेरी चित्त-वृत्ति निज चर्नन में राखो नित, दीजिए सु-भक्ति पाप-कर्म तैं डरयो रहूँ । होय कैं कृपाल मोह-जाल तैं निबेरो देवि ! पाय कैं विवेक-ज्ञान ध्यान से भरयो रहूँ ।। क्रोध-लोभ-मच्छर के अच्छर समेट डारो, जगत् जञ्जाल इन्द्र-जाल तें टरयो रहूँ । टेरत हूँ बार-बार फेरो जिन द्वार-द्वार, ये ही उपचार तेरी पोर पै परयो रहूँ ।। – मातृ-भक्त मुंशी माधवराम Related