भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १३१
ॐ श्रीपरमात्मने नमः
श्रीगणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भविष्यपुराण
(उत्तरपर्व)
अध्याय १३१
वृषोत्सर्ग की महिमा

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा — महाराज ! कार्तिक और माघ की पूर्णिमा, चैत्र की पूर्णिमा तथा तृतीया और वैशाख की पूर्णिमा एवं द्वादशी में शुभ लक्षणों से सम्पन्न वृषभ को चार गौओं के साथ छोड़ने से अनन्त पुण्य प्राप्त होता है । इस वृषोत्सर्ग की विधि को गर्गाचार्य ने मुझसे इस प्रकार बतलाया है — सबसे पहले षोडशमातृका का पूजनकर मातृश्राद्ध तथा फिर आभ्युदयिक श्राद्ध करना चाहिये । फिर एक कलश स्थापित कर उसपर रुद्र का पूजन करके घृत से हवन करना चाहिये ।om, ॐ उस सर्वाङ्ग सुन्दर तरुण बछडे के वाम भाग में त्रिशूल और दक्षिण भाग में चक्रयुक्त चिह्न अंकितकर कुंकुम आदि से अनुलिप्त करे, गले में पुष्प की माला पहना दे । अनन्तर चार तरुण बछियाओं को भी भूषित कर उनके कान में कहे कि ‘आपके पतिस्वरूप इस पुष्ट एवं सुन्दर वृष को मैं विसर्जित कर रहा हूँ, आप इसके साथ स्वच्छन्दतापूर्वक प्रसन्न होकर विहार करें ।’ पुनः उनको वस्त्र से आच्छादित कर एवं स्वादिष्ट भोजन से संतुष्ट कर देवालय, गोष्ठ अथवा नदी-संगम आदि स्थानों में छोड़ना चाहिये । वे पुरुष धन्य हैं, जो स्वेच्छाचारी, गरजते हुए, ककुद्यान् तथा अहंकार से पूर्ण वृष छोड़ते हैं । इस विधि से जो वृषोत्सर्ग करता है, उसके दस पुस्त पहले के और दस पुस्त आगे के भी पुरुष सद्गति को प्राप्त करते हैं । यदि वृष नदी के जल में प्रवेश करता है और उसके सींग से या पूँछ से जो जल उछलता है, उस तर्पणरूप जल से वृषोत्सर्ग करनेवाले व्यक्ति के पितरों को अक्षयतृप्ति प्राप्त होती है । अपने सींग से या खुरों से यदि वह मिट्टी खोदता है तो वृषोत्सर्ग करनेवाले पितरों के लिये वह खोदी भूमि जल भर जाने पर मधुकुल्या बन जाती है । चार हजार हाथ लम्बे-चौड़े तडाग बनाने से पितरों को उतनी तृप्ति नहीं होती, जितनी तृप्ति एक वृष छोड़ने से होती है । मधु और तिल को एक साथ मिलाकर पिण्डदान करने से पितरों को जो तृप्ति नहीं होती, वह तृप्ति एक वृषोत्सर्ग करने से प्राप्त होती है । जो व्यक्ति अपने पितरों के उद्धार के लिये वृष छोड़ता है, वह स्वयं भी स्वर्गलोक को प्राप्त करता है ।
(अध्याय १३१)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.