भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय १८७
ॐ श्रीपरमात्मने नमः
श्रीगणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भविष्यपुराण
(उत्तरपर्व)
अध्याय १८७
हिरण्याश्वरथदान विधि-वर्णन

श्रीकृष्ण बोले — पाण्डुकुलोद्भव ! मैं तुम्हें उस पुण्य हेम का विधान बता रहा हूँ, जो महान् पातकों का नाश करता है । ब्राह्मण की अनुज्ञा द्वारा किसी पुण्य दिन गोबर से लिपे-पुते गृहाङ्गण में काले चौकोर चार चक्र (चक्के) और धुरा, आदि समेत दृढ़ हो, तथा अग्र भाग में ब्रह्मा बैठकर (घोड़े की) शुभ रस्सी (लगाम) पकड़े हो । om, ॐउसके सात इन्द्रनीलमणि भूषित कलश, जो ध्वज रूप उसमें संयुक्त हो,पद्भरागदल के ऊपर स्थित आठों लोकपाल, चार पूर्ण कलश और अट्ठारह प्रकार के धान्य स्थापित करना चाहिए और ऊपर रेशमी वस्त्र की चाँदनी (पँदोवा) से विभूषित भी । उसके मध्य भाग में फल समेत पुरुष को प्रतिष्ठित करके, जिसका योग मुक्त निर्माण किया गया हो, उसका अधिवासन कराये । माला, गंध, अनुलेपन आदि से उसकी अर्चना करके चक्के की रक्षा के निमित्त दो विश्वकुमार की स्थापना करे । तदुपरांत पुण्यकाल के समय स्नान, देवपूजन और रथ की तीन प्रदक्षिणा करके शुक्ल वस्त्र धारण किये हाथ में पुष्पाञ्जलि लिए इस मंत्र का उच्चारण करे —

“नमो नमः पापविनाशनाय
विश्वात्मने देवतुरङ्गमाय ।।
धाम्नामधीशाय भवाभवाय
रथस्य दानान्मम देहि शान्तिम् ।।
वस्वष्टकादित्यमरुद्गणानां
त्वमेव धाता परमं निधानम् ।
यतस्ततो मे हृदयं प्रयातु
धर्मै कतानत्वमघौघनाशात् ।।
(उत्तरपर्व १८७ । १०-११)
पापविनाशी, विश्वात्मा देव (वेद) रूपी तुरङ्गम को नगस्कार है, जो अधीश्वर (विष्णु) का धाम तथा संसार से मुक्त करता है । इस रथ दान से मुझे शांति प्रदान करने की कृपा करे ! आठों वसु, आदित्य एवं मरुद्गणों के तुम धाता, परमनिधान हो अतः मेरे पाप समेत को नष्ट कर मेरे हृदय को धर्म मय करने की कृपा करो ।

इस भाँति संसारमुक्त होने के निमित्त अश्वरथ का प्रदान करने वाला मनुष्य समस्त पापों से रहित होकर पिनाकपाणि (शिव) का उत्तम लोक प्राप्त करता है और देदीप्मान शरीर धारण कर इन्द्र और प्रचण्ड सूर्य के प्रभाव को आक्रान्त करते हुए सिद्धाङ्गनाओं के नेत्र (कटाक्ष) और मुखादि के रसास्वादन ब्रह्मा के साथ चिरकाल तक प्राप्त करता है । इस प्रकार सुवर्ण निर्मित अश्व रथ के आख्यान को पढ़ने या सुनने वाला मनुष्य कभी-भी नरक गामी नहीं होता है। अपितु नरक रिक्त (शिव) लोक की प्राप्ति करता है ।
(अध्याय १८७)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.