January 4, 2019 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ३४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय ३४ शान्तिव्रत का विधान और फल भगवान् श्रीकृष्ण बोले — महाराज ! अब मैं पञ्चमी कल्प में शान्तिव्रत का वर्णन करता हूँ । इसके करने से गृहस्थो को सब प्रकार की शान्ति प्राप्त होती हैं । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पञ्चमी से लेकर एक वर्षपर्यन्त खट्टे पदार्थों का भोजन न करे । नक्तव्रत कर शेषनाग के ऊपर स्थित भगवान विष्णु का पूजन करे और निम्नलिखित मन्त्रों से उनके अंगों की पूजा करे — ‘ॐ अनन्ताय नमः पादौ पूजयामि’ से भगवान् विष्णु के दोनों पैरों की, ‘ॐ धृतराष्ट्रय नमः कटिं पूजयामि’ से कटिप्रदेश की, ‘ॐ तक्षकाय नमः उदरं पूजयामि’ से उदरदेश की, ‘ ॐ कर्कोटकाय नमः: उरः पूजयामि’ से हृदय की, ‘ॐ पद्माय नमः कर्णौ पूजयामि’ से दोनों कानों की, ‘ॐ महापद्माय नमः दोर्युगं पूजयामि’ से भुजाओं की, ‘ॐ शंखपालाय नमः वक्षः पूजयामि’ से वक्षःस्थल की तथा ‘ॐ कुलिकाय नमः शिरः पूजयामि’ से उनके मस्तक की पूजा करे । तदनंतर मौन हो भगवान् विष्णु को दूध से स्नान कराये, फिर दुग्ध और तिलों से हवन करे । वर्ष पूरा होने पर नारायण तथा शेषनाग की सुवर्णप्रतिमा बनवाकर उनका पूजन कर ब्राह्मण को दान दे, साथ ही उसे सवत्सा गौ, पायस से पूर्ण काँस्यपात्र, दो वस्त्र और यथाशक्ति सुवर्ण भी प्रदान करे । तत्पश्चात् ब्राह्मण-भोजन कराकर व्रत समाप्त करे । जो व्यक्ति इस व्रत को भक्तिपूर्वक करता है, वह नित्य शान्ति प्राप्त करता हैं और उसे नागों का कभी भी कोई भय नही रहता । (अध्याय ३४) Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe