भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ७१
ॐ श्रीपरमात्मने नमः
श्रीगणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भविष्यपुराण
(उत्तरपर्व)
अध्याय ७१
नीराजनद्वादशीव्रत-कथा एवं व्रत-विधान

भगवान् श्रीकृष्णने कहा — राजन् ! प्राचीन काल में अजपाल नाम के एक राजर्षि थे । एक बार प्रजा ने अपने दुःखों को दूर करने की उनसे प्रार्थना की, तब उन्होंने इस पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया और फिर नीराजन-शान्ति का अनुष्ठान किया । राजन् ! आपको उस व्रत की विधि बतलाता हूँ । हे पाण्डवश्रेष्ठ ! राजा को पुरोहित के द्वारा इसे सविधि सम्पन्न कराना चाहिये ।
om, ॐजब अजपाल राजा था, उस समय राक्षसों का स्वामी रावण लंका का राजा था । देवताओं को उसने अपनी सेवा में नियुक्त कर लिया था । रावण ने चन्द्रमा को छत्र, इन्द्र को सेनापति, वायु को धूल साफ करनेवाला, वरुण को जलसेवक, कुबेर को धनरक्षक, यम को शत्रु को संयत करनेवाला तथा राजेन्द्र मनु को मन्त्रणा के लिये नियुक्त किया । मेघ उसकी इच्छानुसार शीतल मन्द वृष्टि करते थे । ब्रह्मा के साथ सप्तर्षगण नित्य उसकी शान्ति की कामना करते रहते थे । रावण ने गन्धर्वों को गान के लिये, अप्सराओं को नृत्य-गीत के लिये, विद्याधरों को वाद्य-कार्य के लिये, गङ्गादि नदियो को जलपान कराने के लिये, अग्नि को गार्हपत्य-कार्य के लिये, विश्वकर्मा को अन्न-संस्कार के लिये तथा यम को शिल्प आदि कार्यो के लिये नियुक्त किया और दूसरे राजागण नगर की सेवा के विधान में तत्पर रहते थे । रावण ने ऐसा अपना प्रभाव देखकर अपने प्रसस्ति नामक प्रतिहार से कहा — ‘यहाँ मेरी सेवा के लिये कौन आया है ?’ प्रणाम कर निशाचर ने कहा — ‘प्रभो ! ककुत्स्थ, मान्धाता, धुन्धुमार, नल, अर्जुन, ययाति, नहुष, भीम, राघव, विदूरथ — ये सभी तथा अन्य बहुत से राजा आपकी सेवा के लिये यहाँ आये हैं, किंतु राजा अजपाल आपकी सेवा में नहीं आया है ।’ रावण ने क्रुद्ध होकर शीघ्र ही धूम्राक्ष नामक राक्षस से कहा — धूम्राक्ष ! जाओ और अज़पाल को मेरी आज्ञा के अनुसार यह सूचना दो कि तुम आकर मेरी सेवा करो, अन्यथा तलवार से तुमको मैं मार डालूंगा ।’ रावण के द्वारा ऐसा कहने पर धूम्राक्ष गरुड़ के समान तेज गति से उसकी रमणीय नगरी में गया और राजकुल में पहुँचा । धूम्राक्ष ने रावण के द्वारा कही गयी बातें उसे सुनायीं, किंतु अजपाल ने धूम्राक्ष के आक्षेपपूर्वक अन्य कारणों को कहते हुए लौटा दिया । तदनन्तर ज्वर को बुलाकर राजा ने कहा — ‘तुम लंकेश्वर रावण के पास जाओ और वहाँ यथोचित कार्य सम्पन्न करो ।’ अजपाल के द्वारा नियुक्त मूर्तिमान् ज्वर वहाँ गया और उसने सभी गणों के साथ बैठे हुए राक्षसपति को कम्पित कर दिया । रावण ने उस परम भयंकर ज्वर को आया जानकर कहा कि अजपाल राजा वहीं रहे, मुझे उसकी जरूरत नहीं है । उसी बुद्धिमान् राजर्षि अजपाल के द्वारा यह शान्ति प्रवर्तित हुई है, यह शान्ति सभी उपद्रवों को दूर करनेवाली है । सभी रोगों को नष्ट करनेवाली है ।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि में सायंकाल भगवान् विष्णु के जग जाने के बाद ब्राह्मणों के द्वारा विष्णु का हवन करे । वर्धमान (एरण्ड) वृक्षों से प्राप्त तेलयुक्त दीपिकाओं से भगवान् विष्णु का धीरे-धीरे नीराजन करे । पुष्प, चन्दन, अलंकार, वस्त्र एवं रत्न आदि से उनकी पूजा करे । साथ ही लक्ष्मी, चण्डिका, ब्रह्मा, आदित्य, शंकर, गौरी, यक्ष, गणपति, ग्रह, माता-पिता तथा नाग सभी का नीराजन (आरती) करे । गौ, महिष आदि का भी नीराजन करे । घंटा आदि वाद्यों को बजाये । गौओं का सिन्दूर आदि से तथा चित्र-विचित्र वस्त्रों से शृङ्गार करे और बछड़ों के साथ उनको ले चले और उनके पीछे गोपाल भी ध्वनि करते चलें । मङ्गलध्वनि से युक्त गौओं के नीराजन-उत्सव में घोड़ों आदि को भी ले चले । अपने घर के आँगन को राजचिह्नों से सुशोभित कर पुरोहितों के साथ मन्त्री, नौकर आदि को लेकर राजा शङ्ख, तुरही आदि के द्वारा एवं गन्ध, पुष्प, वस्त्र, दीप आदि से पूजा करे । पुरोहित ‘शान्तिरस्तु’, ‘समृद्धिरस्तु’ ऐसा कहते रहें । यह महाशान्ति नाम से प्रसिद्ध नीराजन जिस राष्ट्र, नगर और गाँव में सम्पन्न होता है, वहाँ के सभी रोग एवं दुःख नष्ट हो जाते हैं और सुभिक्ष हो जाता है । राजा अजपाल ने इसी नीराजन-शान्ति से अपने राष्ट्र की वृद्धि की थी और सम्पूर्ण प्राणियों को रोग से मुक्त बना दिया था । इसलिये रोगादि की निवृत्ति और अपना हित चाहनेवाले व्यक्ति को नीराजन व्रत का अनुष्ठान प्रतिवर्ष करना चाहिये । भगवान् विष्णु का जो नीराजन करता हैं, वह गौ, ब्राह्मण, रथ, घोड़े आदि से युक्त एवं नीरोग हो सुख से जीवन-यापन करता है ।
(अध्याय ७१)

Please follow and like us:
Pin Share

Discover more from Vadicjagat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.