January 7, 2019 | Leave a comment भविष्यपुराण – उत्तरपर्व – अध्याय ७८ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (उत्तरपर्व) अध्याय ७८ गोविन्द-द्वादशी व्रत भगवान् श्रीकृष्ण ने पुनः कहा — महाराज ! इसी प्रकार गोविन्द-द्वादशी नाम का एक अन्य व्रत है, जिसके करने से सभी अभीष्ट सिद्ध हो जाते हैं । पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को उपवास कर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से कमलनयन भगवान् गोविन्द का पूजनकर अन्तर्मन में भी इसी नाम का उच्चारण करते रहना चाहिये । इस दिन पाखण्डियों से बात नहीं करनी चाहिये । ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा देनी चाहिये । व्रती को गोमूत्र, गोमय, दधि अथवा गोदुग्ध का प्राशन करना चाहिये । दूसरे दिन स्नान कर उसी विधि से गोविन्द का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करना चाहिये । इसके साथ ही इस दिन गौ को तृप्तिपूर्वक भोजन कराना चाहिये । इसी प्रकार प्रतिमास व्रत करते हुए वर्ष समाप्त होने पर भगवती लक्ष्मी के साथ सुवर्ण की भगवान् गोविन्द की प्रतिमा बनवाकर पुष्प, धूप, दीप, माला, नैवेद्य आदि से उनका पूजनकर सवत्सा गौ सहित ब्राह्मणों को देना चाहिये । प्रतिमास गौओं की पूजा तथा उन्हें ग्रासादि से तृप्त करना चाहिये । पारणा के दिन विशेषरूप से उनकी सेवा-भक्ति करनी चाहिये । इस व्रत को करने से वही फल प्राप्त होता है जो सुवर्णङ्ग सौ गौओं के साथ एक उत्तम वृष का दान देने से होता हैं । इस व्रत को सम्यक् रुप से करनेवाला सब सुख भोगकर अन्त में गोलोक को प्राप्त होता है । (अध्याय ७८) Related