December 28, 2018 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व तृतीय – अध्याय २ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (प्रतिसर्गपर्व — तृतीय भाग) अध्याय – २ राजा शालिवाहन तथा ईशामसीह की कथा सूतजीने कहा — ऋषियों ! प्रातःकाल में पुत्रशोक से पीड़ित सभी पाण्डव प्रेतकार्य कर पितामह भीष्म के पास आये । उनसे उन्होंने राजधर्म, मोक्षधर्म और दानधर्मों के स्वरूप को अलग-अलग रूप से भली-भाँति समझा । तदनन्तर उन्होंने उत्तम आचरणों से तीन अश्वमेध – यज्ञ किये । पाण्डवों ने छत्तीस वर्षतक राज्य किया और अन्त में वे स्वर्ग चले गये । कलिधर्म की वृद्धि होने पर वे भी अपने अंश से उत्पन्न होंगे । अब आप सब मुनिगण अपने-अपने स्थान को पधारें । मैं योगनिद्रा के वशीभूत हो रहा हूँ, अब मैं समाधिस्थ होकर गुणातीत परब्रह्म का ध्यान करूँगा । यह सुनकर नैमिषारण्यवासी मुनिगण यौगिक सिद्धि का अवलम्बन कर आत्मसामिप्य में स्थित हो गये । दीर्घकाल व्यतीत होने पर शौनकादिमुनि ध्यान से उठकर पुनः सूतजी के पास पहुँचे । मुनियों ने पूछा — सूतजी महाराज ! विक्रमाख्यान का तथा द्वापर में शिव की आज्ञा से होनेवाले राजाओं का आप वर्णन कीजिये । सूतजी बोले — मुनियों ! विक्रमादित्य के स्वर्गलोक चले जाने के बाद बहुत से राजा हुए । पूर्व में कपिल स्थान से पश्चिम में सिन्धु नदी तक, उत्तर में बद्रिक्षेत्र से दक्षिण में सेतुबन्ध तक की सीमावाले भारतवर्ष में उस समय अठाराह राज्य या प्रदेश थे । उनके नाम इस प्रकार है – इन्द्रप्रस्थ, पाञ्चाल, कुरुक्षेत्र, कम्पिल, अन्तर्वेदी, व्रज, अजमेर, मरुधन्व (मारवाड़), गुर्जर (गुजरात), महाराष्ट्र, द्रविड़ (तामिलनाडु), कलिंग (उड़ीसा), अवन्ती (उज्जैन), उडुप (आन्ध्र), बंग, गौड़, मागध तथा कौशल्य । इन राज्यों पर अलग-अलग राजाओं ने शासन किया । वहाँ की भाषाएँ भिन्न-भिन्न रहीं और समय-समय पर विभिन्न धर्म-प्रचारक भी हुए । एक सौ वर्ष व्यतीत हो जाने पर धर्म का विनाश सुनकर शक आदि विदेशी राजा अनेक लोगों के साथ सिन्धु नदी को पारकर आर्यदेश में आयें और कुछ लोग हिमालय के हिममार्ग से यहाँ आये । उन्होंने आर्यों को जीतकर उनका धन लुट लिया और अपने देश में लौट गये । इसी समय विक्रमादित्य का पौत्र राजा शालिवाहन पिता के सिंहासन पर आसीन हुआ । उसने शक, चीन आदि देशों की सेना पर विजय पायी । बाह्लीक, कामरूप, रोम तथा खुर देश में उत्पन्न हुए दुष्टों को पकड़कर उन्हें कठोर दण्ड दिया और उनका सारा कोष छीन लिया । उसने म्लेच्छों तथा आर्यों की अलग-अलग देश-मर्यादा स्थापित की । सिन्धु-प्रदेश को आर्यों का उत्तम स्थान निर्धारित किया और म्लेच्छों के लिये सिन्धु के उस पार का प्रदेश नियत किया । एक समय की बात हैं, वह शकाधीस शालिवाहन हिमशिखर पर गया । उसने हूण देश के मध्य स्थित पर्वत पर एक सुन्दर पुरुष को देखा । उसका शरीर गोरा था और वह श्वेत वस्त्र धारण किये था । उस व्यक्ति को देखकर शकराज ने प्रसन्नता से पूछा — ‘आप कौन हैं ?’ उसने कहा — ‘मैं ईशपुत्र हूँ और कुमारी के गर्भ से उत्पन्न हुआ हूँ । मैं म्लेच्छ धर्म का प्रचारक और सत्य-व्रत में स्थित हूँ ।’ राजा ने पूछा – ‘आपका कौन-सा धर्म है ?’ ईशपुत्र ने कहा — महाराज ! सत्य का विनाश हो जाने पर मर्यादा-रहित म्लेच्छ प्रदेश में मैं मसीह बनकर आया और दस्युओं के मध्य भयंकर ईशामसी नाम से एक कन्या उत्पन्न हुई । उसी को म्लेच्छों से प्राप्त कर मैंने मसीहत्व प्राप्त किया । मैंने म्लेच्छों में जिस धर्म की स्थापना की है, उसे सुनिये — ‘सबसे पहले मानस और दैहिक मल को निकालकर शरीर को पूर्णतः निर्मल कर लेना चाहिये । फिर इष्ट देवता का जप करना चाहिये । सत्यवाणी बोलनी चाहिये, न्याय से चलना चाहिये और मन को एकाग्र कर सूर्यमण्डल में स्थित परमात्मा की पूजा करनी चाहिये, क्योंकि ईश्वर और सूर्य में समानता हैं । परमात्मा भी अचल है और सूर्य भी अचल है । सूर्य अनित्य भूतों के सार का चारों ओर से आकर्षण करते हैं । हे भूपाल ! ऐसे कृत्य से वह मसीहा विलीन हो गयी, पर मेरे हृदय में नित्य विशुद्ध कल्याणकारिणी ईश-मूर्ति प्राप्त हुई है । इसलिये मेरा नाम ईशामसीह प्रतिष्ठित हुआ ।’ यह सुनकर राजा शालिवाहन ने उस म्लेच्छ पूज्य को प्रणाम किया और उसे दारुण म्लेच्छ स्थान में प्रतिष्ठित किया तथा अपने राज्य में आकर उस राजा ने अश्वमेध यज्ञ किया और साठ वर्ष तक राज्य करके स्वर्गलोक चला गया । (अध्याय २) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१६ 2. भविष्यपुराण – मध्यमपर्व प्रथम – अध्याय १९ से २१ 3. भविष्यपुराण – मध्यमपर्व द्वितीय – अध्याय १९ से २१ 4. भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व द्वितीय – अध्याय ३५ 5. भविष्यपुराण – प्रतिसर्गपर्व तृतीय – अध्याय १ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe