भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २०३ से २०७
ॐ श्रीपरमात्मने नमः
श्रीगणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भविष्यपुराण
(ब्राह्मपर्व)
अध्याय – २०३ से २०७
भगवान् भास्कर के व्योम-पूजन की विधि तथा आदित्य-माहात्म्य

विष्णु भगवान् ने पूछा — हे सुरश्रेष्ठ चतुरानन ! अब आप भगवान् आदित्य के व्योम-पूजन की विधि बतलाये । अष्ट-शृङ्गयुक्त व्योमस्वरूप भगवान् भास्कर की पूजा किस प्रकार करनी चाहिये ।om, ॐ
ब्रह्माजी ने कहा — महाबाहो ! सुवर्ण, चाँदी, ताम्र तथा लोहा आदि अष्ट धातुओं से एक अष्ट शृङ्गमय व्योम बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिये । सर्वप्रथम उसके मध्य में भगवान् भास्कर की पूजा करनी चाहिये । ‘महिषा वो० ‘ इस मन्त्र से अनेक प्रकार के पुष्पों को चढ़ाना चाहिये । ‘त्रातारमिन्द्रं० ‘(यजु० २० | ५०) तथा ‘उदीरतापवर० ‘ (यजु० १९ । ४१) इत्यादि वैदिक मन्त्रों से शृङ्गों की तथा ‘नमोऽस्तु सर्पेभ्यो० ‘ (यजु० १३ । ६) इस मन्त्र से व्योमपीठ की पूजा करनी चाहिये । जो व्यक्ति ग्रहों के साथ सब पापों को दूर करनेवाले व्योम-पीठस्थ भगवान् सूर्य को नमस्कार कर उनका पूजन करता है, उसकी सभी कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है ।

भगवान् भास्कर की पूजा करके गुरु को सुन्दर वस्त्र, जूता, सुवर्ण की अँगूठी, गन्ध, पुष्प, अनेक प्रकार के भक्ष्य पदार्थ निवेदित करने चाहिये । जो व्यक्ति इस विधि से उपवास रखकर भगवान् सूर्य की पूजा-अर्चना करता है, वह बहुत पुत्रोंवाला, बहुत धनवान् और कीर्तिमान् हो जाता है । भगवान् सूर्य के उत्तरायण तथा दक्षिणायन होनेपर उपवास रखकर जो व्यक्ति उनकी पूजा करता है, उसे अश्वमेध-यज्ञ करने का फल, विद्या, कीर्ति और बहुत से पुत्रों की प्राप्ति होती है । चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय जो व्यक्ति उपवास रखकर भगवान् भास्कर की पूजा-अर्चना आदि करता है, वह ब्रह्मलोक को प्राप्त होता है । इसी प्रकार भगवान् भास्कर के रत्नमय व्योम की प्रतिमा बनाकर उसकी प्रतिष्ठा और वैदिक मन्त्रों से विविध उपचारों द्वारा उसकी पूजा करे । पूजन के अनन्तर ऋग्वेद की पाँच ऋचाओं से भगवान् आदित्य की परास्तुति करे

“उक्षाणं पृश्निमपचन्त वीरास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ॥
चत्वारि वाक् परिमिता पदानि तानि विदुर्ब्रह्मणा ये मनीषिणः ।
गुहा त्रीणि निहिता नेङ्गयन्ति तुरीयं वाचो मनुष्या वदन्ति ॥
इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो दिव्यः स सुपर्णो गरुत्मान् ।
एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्त्यग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः ॥
कृष्णं नियानं हरयः सुपर्णा अपो वसाना दिवमुत्पतन्ति ।
त आववृत्रन् त्सदनादृतस्यादिद् घृतेन पृथिवी व्युद्यते ॥
यो रत्नधा वसुविद् यः सुदत्रः सरस्वति तमिह धातवे कः ॥ (ऋग्वेद १। १६४ । ४३, ४५-४७, ४९)

इसके बाद भास्कर को अव्यङ्ग निवेदित करे । अनन्तर भगवान् सूर्य की दीप्ता, सूक्ष्मा, जया, भद्रा, विभूति, विमला, अमोघा, विद्युता तथा सर्वतोमुखी — नामवाली नौ दिव्य शक्तियों का पूजन करे। इस विधि से जो भगवान् सूर्य की पूजा करता है, वह इस लोक और परलोक में सभी मनःकामनाओं को पूर्ण कर लेता है । पुत्र चाहनेवाले को पुत्र तथा धन चाहनेवाले धन प्राप्त हो जाता है । कन्यार्थी को कन्या और वेदार्थी को वेद प्राप्त हो जाता है । जो व्यक्ति निष्काम-भाव से भगवान् सूर्य की पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है । इतना कहकर ब्रह्माजी शान्त हो गये ।

व्यासजी ने पुनः कहा — हे भीष्म ! अब आप ध्यान करने योग्य ग्रहों के स्वरूप का तथा भगवान् आदित्य के माहात्म्य का श्रवण करें । भगवान् सूर्य का वर्ण जपा-कुसुम के समान लाल है । वे महातेजस्वी श्वेत-पद्म पर स्थित हैं । सभी लक्षणों से समन्वित है । सभी अलंकारों से विभूषित हैं । उनके एक मुख हैं, दो भुजाएँ हैं । रक्त वस्त्र धारण किये हुए वे ग्रहों के मध्य में स्थित हैं । जो व्यक्ति तीनों समय एकाग्रचित्त होकर उनके इस रूप का ध्यान करता है, वह शीघ्र ही इस लोक में धन-धान्य प्राप्त कर लेता है और सभी पापों से छूटकर तेजस्वी तथा बलवान् हो जाता है ।
श्वेत वर्ण के चन्द्रमा, रक्त वर्ण के मंगल, रक्त तथा श्याम-मिश्रित वर्ण के बुध, पीत वर्ण के बृहस्पति, शङ्ख तथा दुध के समान श्वेत वर्ण के शुक्र, अञ्जन के समान कृष्ण वर्ण के शनि, लाजावर्त के समान नील वर्णक राहु और केतु कहे गये हैं । इन ग्रहों के साथ ग्रहों के अधिपति भगवान् सूर्यनारायण का जो व्यक्ति ध्यान एवं पूजन करता है, उसे शीघ्र ही महासिद्धि प्राप्त हो जाती है, सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं । तथा महादेवत्व की प्राप्ति हो जाती है ।सूर्यनारायण के समान कोई देवता नहीं और न ही उनके समान कोई गति देनेवाला है । सूर्य के समान न तो ब्रह्मा हैं और न अग्नि । सूर्य के धर्म के समान न कोई धर्म है और न उनके समान कोई धन । सूर्य के अतिरिक्त कोई बन्धु नहीं हैं और न तो कोई शुभचिन्तक ही है । सूर्य के समान कोई माता नहीं और न तो कोई गुरु ही है । सूर्य के समान न तो कोई तीर्थ हैं और न उनके समान कोई पवित्र ही है । समस्त लोकों, देवताओं तथा पितरों में एक भगवान सूर्य ही व्याप्त है, उनका ही स्तवन, अर्चन तथा पूजन करने से परम गति की प्राप्ति होती है । जो व्यक्ति भक्तिपूर्वक सूर्यनारायण की आराधना करता है, वह इस भवसागर को पार कर जाता है । भगवान् सूर्य के प्रसन्न हो जाने पर राजा, चोर, ग्रह, सर्प आदि पीड़ा नहीं देते तथा दरिद्रता और सभी दुःखों से भी निवृत्ति हो जाती है ।

रविवार के दिन श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान् सूर्यनारायण की पूजाकर नक्त व्रत करनेवाला व्यक्ति अमरत्व को प्राप्त करता है । भगवान् मार्तण्ड की प्रीति के लिये जो संक्रान्ति मे विधिपूर्वक श्राद्ध करता है, वह सूर्यलोक को प्राप्त होता है । जो व्यक्ति भास्कर की प्रीति के लिये उपवास रखकर षष्टी या सप्तमी के दिन विधिवत् श्राद्ध करता है, वह सभी दोषों से निवृत होकर सूर्यलोक को प्राप्त कर लेता है । जो व्यक्ति सप्तमी के दिन विशेषकर रविवार अथवा ग्रहण के दिन भक्तिपूर्वक भगवान् भास्कर की पूजा करता है, उसकी सभी मनःकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं । ग्रहण के दिन भगवान् भास्कर का पूजन करना उन्हें अतिप्रिय हैं । भगवान् आदित्य परमदेव हैं और सभी देवताओं में पूज्य हैं । उनकी पूजा कर व्यक्ति इच्छित फल को प्राप्त कर लेता हैं । धन चाहनेवाले को धन, पुत्र चाहनेवाले को पुत्र तथा मोक्षार्थी को मोक्ष प्राप्त हो जाता है और वह अमर हो जाता हैं । सुमन्तुजी ने कहा — राजन् ! भीष्म से ऐसा कहकर वेदव्यासजी अपने स्थान को चले गये और भीष्म ने भी श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान् सूर्यनारायण की विधि-विधान से पूजा की । राजन् ! आप भी भगवान् भास्कर की पूजा करें, इससे आपको शाश्वत स्थान प्राप्त होगा ।
(अध्याय २०३-२०७)

See Also :-

1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२

2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3

3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४

4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५

5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६

6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७

7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९

8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५

9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६

10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७

11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८

12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९

13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २०

14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१

15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२

16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३

17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६

18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७

19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८

20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३०

21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१

22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२

23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३

24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४

25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५

26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८

27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९

28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५

29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६

30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७

31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८

32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९

33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१

34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३

35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४

36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५

37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७

38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८

39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६०

40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय  ६१ से ६३

41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४

42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५

43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७

44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८

45. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९

46. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७०

47. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७१

48. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७२ से ७३

49. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७४

50. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७५ से ७८

51. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७९

52. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८० से ८१

53. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८२

54. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८३ से ८५

55. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८६ से ८७

56. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८८ से ९०

57. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९१ से ९२

58. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९३

59. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९४ से ९५

60. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९६

61. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९७

62. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९८ से ९९

63. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०० से १०१

64. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०२

65. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०३

66. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०४

67. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०५ से १०६

68. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०७ से १०९

69. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११० से १११

70. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११२

71. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४

72. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४

73. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११६

74. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११७

75. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११८

76. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११९

77. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२०

78. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२१ से १२४

79. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२५ से १२६

80. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२७ से १२८

81. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२९

82. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३०

83. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३१

84. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३२ से १३३

85. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३४

86. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३५

87. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३६ से १३७

88. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३८

89. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३९ से १४१

90. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४२

91 भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४३

92. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४४

93. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४५

94. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४६ से १४७

95. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४८

96. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४९
97.
भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५०

98. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५१

99. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५२ से १५६

100. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५७ से १५९

101. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६०
102.
भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६१ से १६२

103. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६३

104. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६४

105. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६५

106. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६६ से १६७
107.
भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६८
108.
भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६९ से १७०

109. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७१ से १७२

110. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७३ से १७४

111. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७५ से १८०

112. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८१ से १८२

113. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८३ से १८४

114. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८५
115.
भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८६

116. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८७

117. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८८ से १८९

118. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९० से १९२

119. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९३

120. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९४ से १९७

121. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९८ से २०२

Please follow and like us:
Pin Share

Discover more from Vadicjagat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.