ॐ श्रीपरमात्मने नमः
श्रीगणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भविष्यपुराण
(ब्राह्मपर्व)
अध्याय – २९ से ३०
विनायक – पूजा का माहात्म्य

शतानीक ने कहा – मुने ! अब आप मुझे भगवान् गणेश की आराधना के विषय में बतलाये ।

सुमन्तु मुनि बोले – राजन् ! भगवान् गणेश की आराधना में किसी तिथि, नक्षत्र या उपवासादि की अपेक्षा नहीं होती । जिस किसी भी दिन श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान् गणेश की पूजा की जाय तो वह अभीष्ट फलों को देनेवाली होती है । कामना-भेद से अलग-अलग वस्तुओं से गणपति की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करने से मनोवाञ्छित फल की प्राप्ति होती हैं । ‘महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ।’ गणेश-गायत्री है ।(परम्परा में प्रचलित गणेश-गायत्री में ‘महाकर्णाय’ के स्थान पर ‘एकदन्ताय’ पाठ है) इसका जप करना चाहिये ।om, ॐ

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उपवास कर जो भगवान् गणेश का पूजन करता हैं, उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और सभी अनिष्ट दूर हो जाते हैं । श्रीगणेशजी के अनुकूल होने सभी जगत् अनुकूल हो जाता है । जिसपर एकदन्त भगवान् गणपति संतुष्ट होते हैं, उसपर देवता, पितर, मनुष्य आदि सभी प्रसन्न रहते हैं ।(एकदन्ते जगन्नाथे गणेशे तुष्टिमागते । पितृदेवमनुष्याद्याः सर्वे तुष्यन्ति भारत ॥ बाह्मपर्व ३० । ८) इसलिये सम्पूर्ण विघ्नों को निवृत्त करने के लिये श्रद्धा-भक्तिपूर्वक गणेशजी की आराधना करनी चाहिये ।
(अध्याय २९ – ३०)

See Also :-

1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२

2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3

3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४

4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५

5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६

6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७

7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९

8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५

9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६

10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७

11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८

12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९

13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २०

14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१

15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२

16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३

17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६

18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७

19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८

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