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भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९
ॐ श्रीपरमात्मने नमः
श्रीगणेशाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भविष्यपुराण
(ब्राह्मपर्व)
अध्याय – ६९
शुभाशुभ स्वप्न और उनके फल

ब्रह्माजी बोले – याज्ञवल्क्य ! जो व्यक्ति सप्तमी में उपवास करके विधिपूर्वक सूर्यनारायण पूजन, जप एवं हवन आदि क्रियाएँ सम्पन्न कर रात्रि के समय भगवान् सूर्य का ध्यान करते हुए शयन करता हैं, तब उसे रात्रि में जो स्वप्न दिखायी देते हैं, उन स्वप्न-फलों का मैं अब वर्णन कर रहा हूँ ।om, ॐयदि स्वप्न में सूर्य का उदय, इन्द्रध्वज और चन्द्रमा दिखायी दे तो सभी समृद्धियाँ प्राप्त होती हैं । माला पहने व्यक्ति, गाय या वंशी की आवाज, श्वेत कमल, चामर, दर्पण, सोना, तलवार, पुत्र की प्राप्ति, रुधिर का थोड़ा या अधिक मात्रा में निकलना तथा पान करना ऐसा स्वप्न देखने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । घृताक्त प्रजापति के दर्शन से पुत्र-प्राप्तिका फल होता है । स्वप्न में प्रशस्त वृक्षपर चढ़े अथवा अपने मुख में महिषी, गौ या सिंहनी का दोहन करे तो शीघ्र ही ऐश्वर्य प्राप्त होता है । सोने या चाँदी के पात्र में अथवा कमल-पत्र में जो स्वप्न में खीर खाता है उसे बल की प्राप्ति होती है । द्युत, वाद तथा युद्ध में विजयप्राप्ति का जो स्वप्न देखता है, वह सुख प्राप्त करता हैं । स्वप्न जो अग्नि-पान करता है, उसके जठराग्नि की वृद्धि होती है । यदि स्वप्न में अपने अङ्ग-प्रज्वलित होते दिखायी दें और सिर में पीड़ा हो तो सम्पत्ति मिलती है । श्वेत वर्ण के वस्त्र, माला और प्रशस्त पक्षी का दर्शन शुभ होता है । देवता-ब्राह्मण, आचार्य, गुरु, वृद्ध तथा तपस्वी स्वप्न में जो कुछ कहते हैं, वह सत्य होता है (देवद्विजजनाचार्यगुरुवृद्धतपस्विनः । यद्यद्वदन्ति तत्सर्वं सत्यमेव हि निर्दिशेत् ॥ ब्राह्मपर्व ६९ । १४-१५)। स्वप्न में सिरका कटना अथवा फटना, पैरों में बेड़ी का पड़ना, राज्य-प्राप्ति का संकेतक हैं । स्वप्न में रोने से हर्ष की प्राप्ति होती है ।
घोड़ा, बैल, श्वेत कमल तथा श्रेष्ठ हाथी पर निडर होकर चढ़ने से महान् ऐश्वर्य प्राप्त होता है । ग्रह और ताराओं का ग्रास देखे, पृथ्वी को उलट दे और पर्वत को उखाड़ फेंके तो राज्य का लाभ होता है । पेट से आँत निकले और उससे वृक्ष को लपेटे, पर्वत-समुद्र तथा नदी पार करे तो अत्यधिक ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । सुन्दर स्त्री के गोद में बैठे और बहुत-सी स्त्रियाँ आशीर्वाद दें, शरीर को कीड़े भक्षण करे, स्वप्न में स्वप्न का ज्ञान हो, अभीष्ट बात सुनने और कहने में आये तथा मङ्गलदायक पदार्थों का दर्शन एवं प्राप्ति हो तो धन और आरोग्यका लाभ होता है । जिन स्वप्नों का फल राज्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति है, यदि उन स्वप्नों को रोगी देखता है तो वह रोग से मुक्त हो जाता है । इसप्रकार रात्रि में स्वप्न देखने के पश्चात् प्रातःकाल स्नानकर राजा-ब्राह्मण अथवा भोजक को अपना स्वप्न सुनाना चाहिये ।
(अध्याय ६९)See Also :-

1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२

2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3

3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४

4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५

5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६

6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७

7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९

8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५

9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६

10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७

11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८

12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९

13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २०

14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१

15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२

16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३

17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६

18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७

19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८

20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३०

21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१

22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२

23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३

24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४

25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५

26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८

27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९

28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५

29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६

30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७

31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८

32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९

33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१

34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३

35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४

36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५

37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७

38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८

39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६०

40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय  ६१ से ६३

41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४

42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५

43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७

44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८

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