December 15, 2018 | Leave a comment भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (ब्राह्मपर्व) अध्याय – १०४ त्रिवर्ग-सप्तमीकी महिमा ब्रह्माजी बोले — विष्णो ! जिन-जिन कामनाओं को लेकर अथवा निष्काम होकर भगवान् सूर्यनारायण के उपवास-व्रतों को करके व्यक्ति मनोवाञ्छित फल प्राप्त करता है, अब आप उन-उन उपवास-व्रतों के विषय सुने ।जो व्यक्ति फाल्गुन मास की शुक्ला सप्तमी तिथि को भक्तिपूर्वक बार-बार हेलि नामक भगवान् सूर्य का जप एवं पूजन करता है, वह सूर्यलोक को प्राप्त होता है । देव-पूजन में पवित्र होकर १०८ बार जप करना चाहिये । स्नान करते हुए, प्रस्थान-काल में, उठते-बैठते अर्थात् सभी समय भगवान् सूर्य का नामोच्चारण करना चाहिये । उपवास करनेवाले व्यक्ति को पाखण्डी, पतित और अन्याय लोगों से बातचीत नहीं करनी चाहिये । श्रद्धापूर्वक सूर्यदेव के प्रति मन एकाग्र करके उनकी पूजा करते हुए इस इस श्लोक का पाठ करना चाहिये — “हंस हंस कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव । संसारार्णवमग्नां त्राता भव दिवाकर ॥” (ब्राह्मपर्व १०४।५) ‘हे परमहंस-स्वरूप भगवान् सूर्य ! आप दयालु हैं, गतिहीनों को सद्गति प्रदान करनेवाले हैं, संसार-सागर में निमग्न लोगों के लिये आप रक्षक बनें ।’ इस प्रकार एकाग्रचित्त होकर उपवास करते हुए भगवान् सूर्यनारायणका पूजन करना चाहिये । पूर्वाह्णकाल में स्नानकर सूर्यदेवका पूजन करे, तत्पश्चात् ‘हंस हंस०’ इस श्लोक का जप करे और भगवान् सूर्य के चरणों में तीन बार जल-धारा अर्पित करे । इसी प्रकार चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठ मास में भी भगवान् सूर्यदेव का पूजन करते हुए मनुष्य मृत्युलोक में ही श्रेष्ठ गति को प्राप्त कर लेता है और अन्त में सूर्यलोकको प्राप्त करता है । आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन मास में भी इसी विधि से उपवास रखकर सूर्यभगवान् का ‘मार्तण्ड’ नाम से सम्यक् पूजन और जप करना चाहिये । गोमूत्र के प्राशन से पवित्र मनुष्य धनवान् होकर कुबेरलोक को प्राप्त करता है । संसार के स्वामी अव्यय आत्मस्वरूप भगवान् सूर्यनारायण की आराधना एवं अन्तकाल में भगवान् सूर्य का स्मरण करने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है । कार्तिक आदि चार महीनों में दूध का प्राशन करना चाहिये । इन महीनों में ‘भास्कर’ नामसे भगवान् सूर्य का पूजन तथा जप करना चाहिये । ऐसा करनेपर व्यक्ति भगवान् सूर्य के लोक को प्राप्त होता है । प्रत्येक मास में ब्राह्मणोंको यथाभिलषित दान देना चाहिये । चातुर्मास की समाप्ति पर पुराण-वाचन कराना चाहिये और कीर्तन का आयोजन करना चाहिये । विद्वानों को चाहिये कि कथावाचक की पूजा करके श्राद्धकर्म करें, क्योंकि सिद्ध मालपुआ आदि पक्वानों द्वारा कथावाचक या ब्राह्मण के सहयोग से किया गया यथोचित श्राद्ध भगवान् सूर्यनारायण को अभीष्ट है । यह तिथि अभीष्ट धर्म, अर्थ तथा काम — इस त्रिवर्गको सदैव देनेवाली है ।(अध्याय १०४) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२ 2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3 3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४ 4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५ 5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६ 6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७ 7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९ 8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५ 9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६ 10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७ 11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८ 12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९ 13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २० 14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१ 15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२ 16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३ 17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६ 18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७ 19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८ 20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३० 21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१ 22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२ 23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३ 24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४ 25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५ 26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८ 27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९ 28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५ 29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६ 30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७ 31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८ 32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९ 33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१ 34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३ 35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४ 36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५ 37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७ 38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८ 39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६० 40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६१ से ६३ 41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४ 42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५ 43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७ 44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८ 45. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९ 46. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७० 47. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७१ 48. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७२ से ७३ 49. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७४ 50. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७५ से ७८ 51. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७९ 52. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८० से ८१ 53. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८२ 54. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८३ से ८५ 55. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८६ से ८७ 56. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८८ से ९० 57. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९१ से ९२ 58. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९३ 59. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९४ से ९५ 60. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९६ 61. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९७ 62. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९८ से ९९ 63. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०० से १०१ 64. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०२ 65. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०३ Related