भूत-प्रेत बाँधने के मन्त्र


(१) “बडका ताल के पेड़ माँ बँधाय जञ्जीरा । खाले माँ बाजे झाँझ-मँजीरा और बाजे तबला निशान । भाग-भाग रे भूत – मसान, पहुँचत है पञ्च-मुखा हनुमान । मोर फूँकें, मोर गुरू के फूँकें । गौरा महा-देव के फूँकें । जा रे, भूत बँधा जा ।

(२) “ऐठक बाँधो । बैठक बाँधो । आठ हाथ की भुइया बाँधो । बाँधो सकल शरीर । भूत आवे, भूत बाँधो । प्रेत आवे, प्रेत बाँधो । मरी मसान, चटिया बाँधो । मटिया आवे, मटिया बाँधो । बाँध देहे, फाँद देहे । लोहे की डोरी, शब्द का बन्धन । काकर बाँधे, गुरू के बाँधे । गुरू कौन ? महा-देव-पार्वती के बाँधे । जा रे, भूत बँधा जा ।”

(३) “जल बाँधो, जलाजल बाँधो । जल के बाँधो पीरा । नौ नागर के राजा बाँधो, सोन के बाँधो जजीरा । भूत-प्रेत मसान बाँधो, बाँधो अपन शरीरा । काकर बाँधे, मोर गुरू के बाँधे । गुरू कौन ? गौरा-पार्वती के बाँधे । जा रे, भूत बँधा जा । दुहाई सतनाम कबीरदास जी की !”

विधि – उक्त मन्त्रों को पहले १०८ बार ‘जप’ कर सिद्ध कर ले । ‘प्रयोग’ के समय सात बार भभूत पर पढ़कर फूंक मारे । इससे भूत-प्रेत आदि बँध जाते हैं ।

 

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