मन्त्र चौकी नाहरसिंह की

 मन्त्र:-

“ॐ नमो नारसिंह, नारी का जाया ।

याद किया, सो जल्दी आया ।

पाँच पान का बीड़ा, मद्य की धार ।

चल-चल नाहरसिंह, कहाँ लगाई एती बार ?

देसुँ केसर कूकड़ो मुर्गा को ताज ।

देसुँ मध की धार ।

आरोधा आया नहीं, कहाँ लगाई एती वार ?

देसुँ नारसिंह तो तेरा किया अमुक का घट-पिण्ड बाँध, मेरे हाथ दीया ।

मारता का हाथ बाँध, बोलता की जीभ बाँध ।

झाँकता का नैन बाँध, हीयाबू का ककड़ो बाँध ।

बोटी-बोटी बाँध, पकड़ लटी पछाड़ मार !

मेरा पग तले ला पछाड़ ।

चलता देसुँ केसर कूकड़ो, उतरता देसुँ मध की धार ।

इतना दे जब उतर जो खोल जो घोर धार हमारा ।

उतारा उतर जो और उतारा उतरे, तो नारसिंह तू सहीची डाल ।

शब्द साँचा, पिण्ड काचा । फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा ।।”

विधि :- मुर्गा का केसर और गुग्गल दोनों को पीसकर चने प्रमाण गोली बनाए और पूजन के समय आग पर रखे । बताशे, पान के ५ बीड़े लौंग, गरी, इलायची, सुपारी, दीपक के आगे नैवेद्य के रूप में रखे । Content is available only for registered users. Please login or registerहोली- दीवाली-ग्रहण में भी जप करे ।

 

 

 

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