॥ महामृत्युञ्जय (मृत संजीवनी) मंत्रस्य विधानम् ॥

विनियोग :- ॐ अस्य श्री मृतसंजीवनी महामृत्युञ्जय मन्त्रस्य वामदेव, कहोल वसिष्ठऋषिः पंक्ति, गायत्री अनुष्टप् छन्दः श्रीमहामृत्युञ्जयरुद्रो देवताः, हौं बीजं, जूं शक्ति, सः कीलकं श्रीमृत्युञ्जय देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

ऋष्यादिन्यासः :- वामदेव कहोल वसिष्ठ ऋषये नमः शिरसि । पंक्ति गायत्री अनुष्टप्छन्दसे नमः मुखे । श्रीमहामृत्युञ्जय रुद्रदेवतायै नमः हृदये । हौं बीजाय नमः गुह्ये । जूं शक्तये नमः पादयोः । सः कीलकाय नमः नाभौ । विनियोगाय नमः सर्वाङ्गेषु ।

षडङ्गन्यास –
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुव: स्वः ॐ त्र्यम्बकं अंगुष्टाभ्यां नमः । (हदयाय नमः) ॥
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ यजामहे तर्जनीभ्यां नमः । (शिरसे स्वाहा) ॥
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् मध्यमाभ्यां नमः । (शिखायै वषट् )॥
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ उर्वारुकमिव बन्धनात् अनामिकाभ्यां नमः । (कवचाय हुँ ) ॥
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ मृत्योर्मुक्षीय कनिष्ठिकाभ्यां नमः । (नेत्रत्रयाय वौषट् ) ॥
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ मामृतात् करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । (अस्त्राय फट् )॥

॥ ध्यानम् ॥
चन्द्रार्काग्नि विलोचनं स्मितमुखं पद्मद्वयान्तः स्थितं ।
मुद्रापाशमृगाक्षसूत्र विलसत् पाणिं हिमांशुप्रभम् ॥
कोटिरेन्दुगलत् सुधाप्लुत तनुं हारादि भूषोज्वलं ।
कान्त्या विश्व विमोहनं पशुपतिं मृत्युञ्जये भावये ॥

॥ मन्त्र ॥
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥

॥ श्रीमहामृत्युञ्जय यन्त्र पूजन ॥

मृत्युञ्जय यन्त्र भिन्न-भिन्न है । सामान्य यन्त्र में पञ्चकोण, अष्टदल, वृत्तचतुष्टय भूपूर होते है । प्रस्तुत यन्त्र विस्तृत है उसमें पञ्चकोण, अष्टदल, वृत्त, चतुष्टय तदोपरि पुनः अष्टदल, वृत्तत्रय, ततोपुनः अष्टदल एवं भूपूर होता है । विस्तृत यंत्र नहीं कर सके तो सामान्य यंत्र में ही पूजा करें । प्रत्येक नामावलि के बाद पादुकां पूजयामि नमः तर्पयामि से गंधाक्षत पुष्प अर्पण करे व पञ्चामृत अर्घ्यजल मिश्रित जल से तर्पण करें ।
लिङ्गतोभद्रमण्डल या सर्वतोभद्रमण्डल पर ‘ॐ मं मण्डूकादि परतत्वांत पीठ देवतायै नमः’ से पूजन कर शिव की नवपीठशक्तियों का पूजन करें ।
पूर्वादिक्रमेण – ॐ वामायै नमः । ॐ ज्येष्ठायै नमः । ॐ रोद्रे्यै नमः । ॐ काल्यै नमः । ॐ कलविकरण्यै नमः । ॐ बलविकरण्यै नमः । ॐ बलप्रमथिन्यै नमः । ॐ सर्वभूतदमन्यै नमः । मध्ये – ॐ मनोन्मन्यै नमः ।
स्वर्ण या ताम्र यंत्र का अग्न्युत्तारण करें, दुग्धजल धारा से शोधन का भद्रमण्डल पर – ॐ नमो भगवते सकलगुणात्मशक्तियुक्ताय अनंताय योगपीठात्मने नमः । इसके बाद प्रधानदेव का पूजन करें । पुष्पाञ्जलि प्रदान करते हुये विनम्रभाव से आज्ञा मांगें —
ॐ संविन्मयः परो देवः परामृतरसप्रियः ।
अनुज्ञां शिव मे देहि परिवारार्चनाय च ॥

यंत्र पूजा में प्रत्येक देवता की नामावलि में प्रथमा से सम्बोधन करते हुये ‘पादुकां पूजयामि तर्पयामि’ से पुष्पगंधार्चन व तर्पण करें ।

प्रथमावरणम् – (बिन्दु मध्ये) – मूल मंत्र से ॐ त्र्यंबकाय श्री पादुकां पूज. नमः तर्पयामि ।
तत्रैव – ॐ श्रीं ह्रीं मृत्युञ्जये भगवति चैतन्य चन्द्रे हंस संजीवनी स्वाहा । श्री अमृतेश्वरी देव्यै नमः श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि (शिव के वाम भाग में)।
गुरुमण्डल पूजनम् ॐ दिव्यौघ गुरुभ्यो श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ सिद्धौघ गुरुभ्यो श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ मानवौघगुरुभ्यो श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
स्वगुरुक्रम – ॐ अमुक स्वगुरुनाथ सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ परमगुरुभ्यो श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ परात्परगुरुभ्यो श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ परमेष्ठीगुरुभ्यो श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
पुष्पाञ्जलि
ॐ अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सले ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं प्रथमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ द्वितीयावरणम् – (बिन्दु समीपे) – ॐ त्र्यम्बकं हृदयाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ यजामहे शिरसे स्वाहा श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ सुगंधि पुष्टिवर्धनम् शिखायै वषट् श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ उर्वारुकमिव बन्धनात् कवचाय हुँ श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ मृत्योर्मुक्षीय नेत्रत्रयाय वौषट श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ मामृतात् अस्त्रायफट् श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं द्वितीयावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें ‘पूजिताः तर्पिता: सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ तृतीयावरणम् – पञ्चकोणे – प्रत्येक नाममंत्रों के बाद श्री पादुकां पूजयामि नमः तर्पयामि कहें । ईशाने – सद्योजाताय श्री पादुकां पूजयामि नमः तर्पयामि । पूर्वे – वामदेवाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । अग्निकोणे – ईशानाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । नैऋत्ये – तत्पुरुषाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वायवे – अघोराय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं तृतीयावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ चतुर्थावरणम् – (अष्टदले) – प्रत्येक नाममंत्र के बाद श्री पादुकां पूजयामि नमः तर्पयामि कहकर गंधाक्षत पुष्प अर्पण कर तर्पण करें । ॐ अर्कमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ इन्द्रमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वसुधामूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । तोयमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वह्निमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वायुमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । आकाशमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । यजमानमूर्तये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
दलाग्रे – अं आं इं ईं ….अं अः मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कं …. ङं मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । चं …. जं मातृकायै .श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । टं … हुं मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । तं … नं मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । पं . ….. मं मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । यं … वं मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । सं … क्षं मातृकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं चतुर्थावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ पञ्चमावरणम् – (वृत्तचतुष्कये) –ॐ भवदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शर्वदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ईशानदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । पशुपतिदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । रुद्रदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । उग्रदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । भीमदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । महान्तदेव श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं पञ्चमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ षष्ठमावरणम् – (अष्टदले) अगर वृहद यंत्र नहीं बनाया हो तो सामान्य यंत्र के अष्टदल में ही पूजा करें । ॐ रमायै श्री नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ शकायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ प्रभायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ ज्योत्स्नायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ पूर्णायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ उषायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ॐ सुधायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
(अष्टदलाग्रे) – ॐ विश्वायै नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । विद्यायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । सितायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । प्रह्वायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । सारायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । संध्याय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शिवायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । मिशायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं षष्ठमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ सप्तमावरणम् :- वृक्त्रये – (अगर वृहद यंत्र नहीं बनाया हो तो पूर्व के चारों वृत्तों मे से ३ वृत्तों में पूजन करें।)
१. ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं ……. प्रचोदयात् श्री सविता देवी श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
२. ॐ जातवेद से सुनवाम सोम मरातीयतो निदहाति वेदः । स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वानावेव सिन्धु दुरितात्यग्निः श्री दुर्गा देवता श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
३. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे …. मामृतात् । ॐ त्र्यम्बकं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।

अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं सप्तमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ अष्टमावरणम् – (द्वितीय अष्टदले) या पूर्व के अष्टदल में ही ‘केसरों’ में पूजन करें । ॐ आर्यायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । प्रज्ञायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । प्रभायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । मेधायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शान्त्यै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कान्त्यै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । धृत्यै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । सत्यै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं अष्टमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ नवमावरणम् – अष्टदलमध्ये – ॐ धरायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । मायायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । अविन्यै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । पद्माय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शांतायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । मोघायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । जयायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । अमलायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं नवमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ दशमावरणम् – अष्टदलाग्रे – ॐ ज्यैष्ठायै नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । श्रेष्ठायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । रुद्रायै श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कालाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कलविकरणायै नमो बलविकरणाय नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । सर्वभूतदमनाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । मनोन्मनाय श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । भवोदभवाये श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं दशमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ एकादशमावरणम् – अष्टदले कर्णिका समीपे – अष्टनाग पूजा पूर्वादिक्रमेण । अनन्ताय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वासुकीये नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शेषाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । पद्मनाभाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कंबलाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शंखपालाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । धृतराष्ट्राय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । तक्षकाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । मध्ये- कालीये नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं एकादशमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ द्वादशमावरणम् – (अष्टदले कर्णिका वहि:) – पूर्वादि क्रमेण अष्टभैरवान् सम्पूज्य । ॐ असितांगभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । रुरुवभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । चण्डभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । क्रोधभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । उन्मत्तभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कपालिभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । भीषणभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । संहारभैरवाय सशक्तिं श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं द्वादशमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ त्रयोदयशमावरणम् – भूपूरे – वैसे भूपूर में अष्टसिद्धि, ग्रह, उपग्रह, पीठ, उपपीठ एवं दिक्पालादि का पूजा विधान है । (नरपतिजयचर्या) अष्टसिद्धिं – अणिमा सिद्धि श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । लघिमा श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । महिमा श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ईशित्व सिद्धि श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वशित्व सिद्धि श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । प्राकाम्य सिद्धि श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । भुक्ति सिद्धि श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । इच्छा सिद्धि श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं त्रयोदशमावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ चतुर्दशमावरणम् – (भूपूरे) – इन्द्राय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । अग्नये नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । यमाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । निर्ऋत्ये नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वरुणाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । वायवे नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । कुबेराय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ईशानाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । ब्रह्मणे नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । अनन्ताय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
अभिष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल ।
भक्त्या समर्पयेतुभ्यं चतुर्दशावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें ।

अथ पञ्चदशावरणम् – (भूपुरे)- वज्राय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । शक्तये नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । दण्डाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । खड्गाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । पाशाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । अङ्कुशाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । गदाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । त्रिशूलाय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । पद्माय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ । चक्राय नमः श्री पा॰ पू॰ न॰ त॰ ।
ॐ अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सले ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं पञ्चदशावरणार्चनम् ॥
पुष्पाञ्जलि प्रदान करें । ‘पूजिताः तर्पिताः सन्तुः’ कहकर अर्घपात्र जल से तृप्त करें । तत्पश्चात् धूप दीप नैवेद्य अर्पण कर नीराजन करे ।

 

 

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