January 8, 2016 | aspundir | 2 Comments महा-काली शाबर मन्त्र मन्त्र :- “सात पूनम काल का, बारह बरस क्वाँर । एको देवी जानिए, चौदह भुवन – द्वार ।। १ द्वि – पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव । अष्ट-भुजी परमेश्वरी, ग्यारह रुद्र सेव ।। २ सोलह कला सम्पूर्णी, तीन नयन भरपूर । दसों द्वारी तू ही माँ, पाँचों बाजे नूर ।। ३ नव-निधी षट्-दर्शनी, पन्द्रह तिथी जान । चारों युग में काल का, कर काली ! कल्याण ।। ४ सामग्री :- १ काली-यन्त्र (चौंतिसा यन्त्र), २ भगवती काली का चित्र, ३ भट-कटैया का फूल-७, ४ पीला कनेर फूल-५, ५ लौंग – ५, ६ इलायची – ५, ७ पञ्च – मेवा, ८ नीम्बू – ३, ९ सिन्दूर १ ग्राम, १० काले केवाँच के बीज – १०८, ११ दीपक, १२ अगर-बत्ती या धूप, १३ नारियल – एक । दिन / जप-संख्या / समय :- होली, दीपावली, ग्रहण, नवरात्र, अमावास्या । १०८ बार । रात्रि १० बजे के बाद । विधि :- उक्त मन्त्र की साधना यदि भगवती काली के मन्दिर में की जाए, तो उत्तम फल होगा । वैसे एकान्त स्थान में या घर पर भी यह साधना कर सकते हैं । सर्व – प्रथम अपने सामने एक बाजोट (लकड़ी के पाटे) पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर ‘श्री चौंतिसा – यन्त्र’ और ‘चित्र’ स्थापित करे । घी का चौ – मुखा दिया जलाए । पञ्चोपचारों से पूजन करे । तब अष्ट – गन्ध से उक्त ‘चौंतीसा यन्त्र’ का निर्माण कर उसकी भी पञ्चोपचारों से पूजा करे । पूजन करते समय भट-कटैया और कनेर पुष्प को यन्त्र और चित्र को अर्पित करे । तीनों नीम्बुओं के ऊपर सिन्दूर का टीका या बिन्दी लगाए और उसे भी अर्पित करे । नारियल, पञ्च – मेवा, लौंग – इलायची का भोग लगाए, लेकिन इन सबसे पहले गणेश, गुरु और आत्म-रक्षा मन्त्र का पूजन और मन्त्र का जप आवश्यक है । ‘काली शाबर – मन्त्र’ को जपते समय हर बार एक-एक केवाँच का बीज भी काली-चित्र के सामने चढ़ाते रहें । जप की समाप्ति पर इसी मन्त्र की ग्यारह आहुतियाँ घी और गुग्गुल की दे । तत्पश्चात् एक नीम्बू काटकर उसमें अपनी अनामिका अंगुली का रक्त मिलाकर अग्नि में निचोड़े । हवन की राख, मेवा, नीम्बू, केवांच के बीज और फूल को सँभाल कर रखे । नारियल और अगर- बत्ती को मन्दिर में चढ़ा दे तथा एक ब्राह्मण को भोजन कराए । प्रयोग के समय २१ बार मन्त्र का जप करे । प्रति – दिन उस मन्त्र का १०८ बार जप करते रहने से साधक की सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं एवं साधक धन – धान्य से परिपूर्ण रहता है । हर बाधा स्वत: दूर हो जाती है और साधक नीरोग तथा दीर्घायु होता है । विभिन्न प्रयोग : उक्त मन्त्र से मातृ-बाधा, भूत – प्रेत – बाधा, आर्थिक बाधा, ऋगा – जाल, रोग, शारीरिक पीड़ा आदि को सरलता से दूर कर सकते हैं । मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन, विद्वेषण आदि के लिए भी मन्त्र का प्रयोग किया जा सकता है । यथा- १. शत्रु-बाधा का निवारण : अमावास्या के दिन १ नीम्बू पर सिन्दूर से शत्रु का नाम लिखे । २१ बार सात सुइयाँ उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर नीम्बू में चुभो दे । फिर उसे श्मशान में जाकर गाड़ दे और उस पर मद्य की धार दे । तीन दिनों में शत्रु – बाधा समाप्त होगी । २. मोहन : उक्त मन्त्र से सिन्दूर और भस्म को मिलाकर ११ बार अभिमन्त्रित कर माथे पर तिलक लगा कर जिसे देखेंगे, वह आपके ऊपर मोहित हो जाएगा । ३. वशीकरण : पञ्च-मेवा में से थोड़ा सा मेवा लेकर २१ बार इस मन्त्र से अभिमन्त्रित करे । इसे जिस स्त्री या पुरुष को खिलाएँगे, वह आपके वशीभूत हो जाएगा । ४. उच्चाटन : भट – कटैया के फूल १, केवाँच बीज और सिन्दूर के ऊपर ११ बार मन्त्र पढ़कर जिसके घर में फेंक देंगे, उसका उच्चाटन हो जाएगा । ५. स्तम्भन : हवन की भस्म, चिता की राख और ३ लौंग को २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित करके जिसके घर में गाड़ देंगे, उसका ‘स्तम्भन’ हो जाएगा 1 ६. विद्वेषण : श्मशान की राख, कलीहारी का फूल, ३ केवाँच के बीज पर २१ बार मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित करके एक काले कपड़े में बाँध कर शत्रु के आने-जाने के मार्ग में या घर के दरवाजे पर गाड़ दे । शत्रुओं में आपस में ही भयानक शत्रुता हो जाएगी । ७. भूत-प्रेत-बाधा : हवन की राख सात बार अभिमन्त्रित कर फूंक मारे तथा माथे पर टीका लगा दे । ‘चौंतीसा यन्त्र’ को भोज-पत्र पर बनाकर ताम्बे की ताबीज में भरकर पहना दे । भूत-प्रेत- बाधा सदा के लिए दूर हो जाएगी । ८. आर्थिक बाधा-निवारण : महा – काली यन्त्र के सामने धी का दीपक जलाकर उक्त मन्त्र का जप २१ दिनों तक २१ बार करे । आर्थिक बाधा दूर हो जाएगी । ९. शारीरिक पीड़ा, रोग – मुक्ति निवारण : भस्म को सात बार अभिमन्त्रित कर रोगी पर फूँक मारे तथा चौंसठ यन्त्र को अष्ट-गन्ध से भोज – पत्र पर लिखकर दे । रोग से मुक्ति मिल जाएगी । विशेष : यदि उक्त मन्त्र के साथ निम्न मन्त्र का भी एक माला जप नित्य किया जाए, तो मन्त्र अधिक उग्र होकर कार्य करता है । “ॐ कङ्काली महा-काली, केलि-कलाभ्यां स्वाहा ।” Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe
Meri or mere mata ki puri jindgi barbad kar Di hai ,tantrik prayog se tin sal se bandha Hua hu . Me apse sanpark karna chahta hu email. id jijie Reply