September 27, 2015 | aspundir | Leave a comment माँ बगलामुखी हेम रुचिर पट पीत सरोवर, प्रकटित धन्य स्व-नाम । मन्त्र-मयी बगलामुखि वैष्णवि, शक्ति सबल बल-धाम ।। ऊपर गगन हकार धराधर, धरणी बीज ललाम । बिन्दु-मयी बगला पीठेश्वरि, ह्रींकारेश्वरि-धाम ।। बीज-मयी हरि-शक्ति-मयी ह्लीं, मन्त्र-मयी बल-धाम । नष्ट करो अरि-व्यूह महा, बगलमुखि मातु प्रणाम ।। दुश्मन दुष्ट मुखर, मुख-वाणी, स्तम्भित कर-पद-चाल । कील करो रसना अरि जिह्वा, बुद्धि करो अरि ब्याल ।। प्रीति पराग-पगी वसुधा, नभ विष्णु-प्रिया रति-काम । सृष्टि-मयी मधु-गन्ध-मयी, भगवन्ति महा-छवि-धाम ।। गन्ध-पुष्प-मधु-धूप-दीपिका, सरस द्रव्य मधु-पान । पूजन-तर्पण-नमन भाव-मय, स्वाहा सहित प्रणाम ।। क्रोधिनि स्तम्भिनि चँवर-धारिणी, बगलामुखी प्रणाम । जय-जय उड्डियान जालन्धर, कामद-गिरि गुरु-धाम ।। जयति अनन्त-नाथ गुरु जय-जय, श्रीकण्ठ-नाथ गुरु नाह । नाथ-शिरोमणि दत्तात्रेय गुरु, शत-शत बार प्रणाम ।। भगवति षष्टि महा-बगले, सुभगे शत-कोटि प्रणाम । जय-जय भय-सर्पिणि, भग-वाहिनि, भग-मालिनि सुख-धाम ।। भगवति भग शुद्धा भग-पत्नी, जय-जय षष्टि प्रणाम । जय भव-सृष्टि योनि-भग-धारिणि, पालिनि-स्थिति-विश्राम ।। अष्ट-कमल-दल-वासिनि ब्राह्मणि, माहेश्वरि प्रणाम । जय-जय कौमारी जय वैष्णवी, वाराही बल-धाम ।। इन्द्राणी जय चामुण्डा जय, जय लक्ष्मी, जय धाम । अष्ट-मातृका संग कमल-दल-वासिनि मातु-प्रणाम ।। जयति जया-विजया अजिता जय, अपराजिता प्रणाम । जृम्भिणि स्तम्भिनि मोहिनि जय-जय, आकर्षिणि छवि-धाम ।। जय असितांग संग रुरु भैरव, चण्ड-क्रोध परिवार । उन्मत्त मस्त कपालि माल-धर, भीषणेश संहार ।। जय षोडश-दल-वासिनि बगला, स्वाहा सहित प्रणाम । स्तम्भिनि जृम्भिणि मोहिनि माते ! चञ्चलादि गुण-धाम ।। माता स्वाहा सहित प्रणाम ।। जय अचला, वश्या, कलिका जय, कल्मषादि तव नाम । जय धात्री कल्पान्ता माता, आकर्षिणि अभिराम ।। माता स्वाहा सहित प्रणाम ।। शाकिनि जयति अष्ट-गन्धा जय, भोगेच्छा कृत-काम । जयति भाविका भाव-मयी माँ, बगलामुखी प्रणाम ।। जय-जय ह्लींकारेश्वरि अर्पित, कनक-पीठ अभिराम । पीता पद्म-पराग-मालिका, भूषण भव्य ललाम ।। पीताम्बर-परिधान-भूषिता, सुधा-सिन्धु मणि-धाम । जयति जयति जय ह्लींकारेश्वरि, बगलामुखि प्रणाम ।। अरि रसना मुग्दर कर राजित, उग्रवती बल-धाम । वात-क्षोभ-तूफान शान्त हो, शमित दुखद परिणाम ।। हरि सकल अरि, ब्याल नष्ट हों, दुश्मन दुष्ट तमाम । कर स्तम्भित मुख-वाच-चाल-पद, मिटें शत्रु अविराम ।। कील करो रसना अरियों की, बुद्धि हरो अविराम । दुश्मन दुष्ट विनष्ट-त्रस्त हों, बने जगत् सुख-धाम ।। गन्ध-पुष्प-मधू-धूप-दीपिका, सरस द्रव्य मधु-पान । पूजन-तर्पण-नमन भाव-मय, स्वाहा सहित प्रणाम ।। स्वर्ण-शिखर रवि-हेम-किरण नव, कनक-पीठमणि-धाम । अर्पित पीत पुनीत पद्म-सारि, बगलामुखी प्रणाम । जयति जयति जय ह्लींकारेश्वरि ! प्रीति कमल निष्काम ।। पद्म-राग अम्लान समर्पित, करत नमन बलराम ।। माता स्वाहा सहित प्रणाम ।। Related