मुट्ठी पीर सिद्धि शाबर मन्त्र

विधि – यह मंत्र किसी भी गुरुवार की रात्रि मे बबूल वृक्ष के नीचे बैठकर 41 दिन तक प्रतिदिन 2100 की संख्या में जपें । आसन पश्चिम की ओर मुख करके लगायें और सामने सरसों के तेल का दीपक जलायें। बयालीसवें दिन उक्त मंत्र से 108 बार आहूति देकर मंत्र सिद्ध कर लें।
पूर्णाहुति के पश्चात् “मुट्ठी पीर” प्रकट होकर अन्यथा अन्य किसी विधि द्वारा साधक को प्रबलतम वशीकरण सिद्धि प्रदान करते हैं। इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात् साधक संसार की समस्त निर्जीव तथा सजीव वस्तुओं और प्राणियों को समान रूप से वशीभूत कर सकता है।
नोट – ध्यान रखें कि भूलकर भी इस सिद्धि का साधक को दुरूपयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा साधक को भारी हानि उठानी पड़ सकती है।

मन्त्रः-
“बिस्मिल्लाह अर्रहमान निर्ररहीम।
साहचक की बावड़ी।
गले मोतियन की हार।
लंका सौ कोट समुद्र सी खाई।
Content is available only for registered users. Please login or register पिण्ड काँचा।
चलो मंत्र ईश्वरो वाचा।”

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