यात्रा के गन्तव्य स्थान में सुविधा के लिए
मन्ल :-
“गच्छ गौतम ! शीघ्रं त्वं, ग्रामेषु नगरेषु च ।
असनं वसनं चैव, ताम्बूलं तत्र कल्पय ।।”

om, ॐ
विधि :- यदि गन्तव्य स्थान अपरिचित हो और वहां रहने एवं भोजन की सुविधा का ठिकाना न हो, तो यात्रा में उस स्थान की सीमा पर ही रास्ते से धूल या ७ कङ्कड़ उठाकर उक्त मन्त्र से अभि-मन्त्रित कर आगे की ओर फेंक दे । सारी सुविधा सहज ही प्राप्त हो जायगी । अनुभूत है ।
यही मन्त्र भिन्न विधि के साथ शाबर मन्त्र-जाल 01

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