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रोग-आपत्ति-निवारक मन्त्र
मन्त्रः- “ॐ शान्ते ! शान्ते ! सर्वारिष्ट-नाशिनी ! स्वाहा ।”
अथवा
“ॐ नमो शान्ते ! प्रशान्ते ! सर्व-क्रोधोपशमनी ! स्वाहा ।”

विधि : ग्रहण – काल में एक लक्ष जप करने से उक्त मन्त्र की सिद्धि होती है । बाद में जब आपत्ति हो या किसी भी प्रकार का घोर सङ्कट हो, तब १० बार उक्त मन्त्र का स्मरण करने से आपत्ति या सङ्कट का निवारण होता है । रोगों की शान्ति के लिए रोगी को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित जल पीने को देना चाहिए । अथवा, रोगी के अङ्गों पर मन्त्र का स्मरण कर हाथ फेरना चाहिए । जब आपत्ति या रोग का निवारण हो जाए, तब ब्रह्म-भोज करना चाहिए । ऐसा करने से सिद्धि चिर-कालीन रहेगी । श्रद्धा से मन्त्र का स्मरण करने से सभी प्रकार की शान्ति मिलती है ।

om, ॐ

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