रोग-पीड़ा निवारक टोटके
१॰ यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीड़ित कर रहा हो तथा उपचार करने पर शांत हो जाता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने वजन के बराबर गेहूँ का दान रविवार के दिन करना चाहिए। गेहूँ का दान जरुरतमंद एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों को ही करना चाहिए।
२॰ यदि जन्म कुण्डली में अष्टम भाव से सम्बन्धित ग्रह की दशा-अन्तर्दशा चल रही हो, तो ऐसी दशा में पूर्वजन्मकृत अशुभ कार्यों के कारण इस जन्म में रोग पीड़ा का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उस ग्रह से सम्बन्धित अनाज को उस ग्रह के वार के दिन बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए।
३॰ निर्बल षष्ठेश की दशा-अन्तर्दशा में उससे सम्बन्धित प्रतिनिधि वस्तु को भूमि में दबाना चाहिए।
४॰ एलर्जी एवं चर्म रोगों की पीड़ा शान्ति के लिए बुधवार के दिन मिट्टी का घड़ा खरीदकर एक सप्ताह तक घर पर रखकर अगले बुधवार को किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान करना चाहिए।
५॰ बार-बार ज्वर से पीड़ा मिलती हो, तो उसे सफेद कनेर की जड़ का ताबीज लाल डोरे में पिरोकर गले में पहनना चाहिए।
६॰ नजर दोष के कारण यदि स्वास्थ्य खराब हो तो, ऐसे व्यक्ति के सिर पर से काली राई सात बार उसार कर चूल्हे की अग्नि में डाल देनी चाहिए।
७॰ यदि घर में किसी न किसी सदस्य का स्वास्थ्य खराब रहता हो, जिसके कारण धन का अपव्यय लगा रहता हो, तो ऐसे घर के गृहस्वामी को प्रतिदिन अपने भोजन में से प्रथम रोटी निकालकर गाय को खिलानी चाहिए।
८॰ जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखभाल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।

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