September 10, 2015 | aspundir | Leave a comment ‘श्रीलक्ष्मी’- नाम मन्त्र द्वारा हवन – पूर्व-मुख होकर आसन पर बैठे और अपने पास गन्ध, पुष्प, अक्षत, समानान्यार्घ्य-जल, कुश, काष्ठ आदि पूजन सामग्री रखें । – कुश से काष्ठ आदि सकल सामग्री का मार्जन करें । – भूमि को गो-मय और जल से लीपे । – तीन बार ‘मूल-मन्त्र’ अथवा “श्रीं” – एकाक्षर बीज का उच्चारण कर हवन-सामग्री को उठाए और गो-मय व जल से लीपे हुए स्थान पर स्थापित करे । – ‘मूल-मन्त्र’ अथवा “श्रीं” – एकाक्षर बीज से ‘महा-लक्ष्मी-स्वरुपा अग्नि’ को स्थापित करे और प्रोक्षित ‘हवन-सामग्री’ को उसमें डाले । – माँ लक्ष्मी का ध्यान कर ‘मूल-मन्त्र’ अथवा “श्रीं” – एकाक्षर बीज से तीन बार अग्नि का सिञ्चन कर पञ्चोपचारों द्वारा अग्नि का पूजन करे । – फिर कमल-पुष्प, तिल, मधु, घृत, शक्कर, बेल-गूदा मिलाकर बेल की लकड़ी से निम्न ‘नाम-मन्त्रों’ से हवन करे । पहले चार व्याहृतियों की आहुतियाँ दे – १॰ ॐ भूः स्वाहा, इदमग्नये नमः । २॰ ॐ भूर्भवः स्वः स्वाहा, इदं वायवे नमः । ३॰ ॐ स्वः स्वाहा, इदं सूर्याय नमः । ४॰ ॐ भूर्भुवः सवः स्वाहा, इदं प्रजा-पतये नमः । – अब भगवती लक्ष्मी के नाम-मन्त्रों से आहुतियाँ दे – ॐ श्रियै नमः स्वाहा ॐ भू-देव्यै नमः स्वाहा ॐ लीला-देव्यै नमः स्वाहा ॐ महा-लक्ष्म्यै नमः स्वाहा ॐ वरदायै नमः स्वाहा ॐ विष्णु-पत्न्यै नमः स्वाहा ॐ वसु-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ हिरण्य-रुपायै नमः स्वाहा ॐ स्वर्ण-मालिन्यै नमः स्वाहा ॐ पद्म-वासिन्यै नमः स्वाहा ॐ पद्म-हस्तायै नमः स्वाहा ॐ पद्म-प्रियायै नमः स्वाहा ॐ मुक्तालंकारायै नमः स्वाहा ॐ चन्द्रायै नमः स्वाहा ॐ सूर्यायै नमः स्वाहा ॐ बिल्व-प्रियायै नमः स्वाहा ॐ ईश्वर्यै नमः स्वाहा ॐ भुक्त्यै नमः स्वाहा ॐ मुक्त्यै नमः स्वाहा ॐ विभूत्यै नमः स्वाहा ॐ ऋद्धयै नमः स्वाहा ॐ समृद्धयै नमः स्वाहा ॐ तुष्ट्यै नमः स्वाहा ॐ पुष्ट्यै नमः स्वाहा ॐ कृष्ट्यै नमः स्वाहा ॐ धनदायै नमः स्वाहा ॐ धनेश्वर्यै नमः स्वाहा ॐ श्रद्धायै नमः स्वाहा ॐ भोगिन्यै नमः स्वाहा ॐ भोगदायै नमः स्वाहा ॐ सावित्र्यै नमः स्वाहा ॐ धात्र्यै नमः स्वाहा ॐ गायत्र्यै नमः स्वाहा ॐ सरस्वत्यै नमः स्वाहा ॐ हिरण्य-वर्णायै नमः स्वाहा ॐ हरिण्यै नमः स्वाहा ॐ सुवर्ण-रजत-स्त्रजायै नमः स्वाहा ॐ हिरण्मय्यै नमः स्वाहा ॐ अनपगामिन्यै नमः स्वाहा ॐ लक्ष्म्यै नमः स्वाहा ॐ अस्व-पूर्वायै नमः स्वाहा ॐ रथ-मध्यायै नमः स्वाहा ॐ हस्ति-नाद-प्रबोधिन्यै नमः स्वाहा ॐ ज्वलंत्यै नमः स्वाहा ॐ तृप्तायै नमः स्वाहा ॐ तर्पयंत्यै नमः स्वाहा ॐ पद्म-स्थितायै नमः स्वाहा ॐ पद्म-वर्णायै नमः स्वाहा ॐ चन्द्र-प्रभासायै नमः स्वाहा ॐ यशसा ज्वलंत्यै नमः स्वाहा ॐ देव-जुष्टायै नमः स्वाहा ॐ उदारायै नमः स्वाहा ॐ पद्मनेम्यै नमः स्वाहा ॐ अलक्ष्मी-नाशिन्यै नमः स्वाहा ॐ आदित्य-वर्णायै नमः स्वाहा ॐ गन्ध-द्वारायै नमः स्वाहा ॐ दुराधर्षायै नमः स्वाहा ॐ नित्य-पुष्टायै नमः स्वाहा ॐ करीषिण्यै नमः स्वाहा ॐ पुष्करिण्यै नमः स्वाहा ॐ पिंगलायै नमः स्वाहा ॐ सुवर्णायै नमः स्वाहा ॐ हेम-मालिन्यै नमः स्वाहा ॐ हरिणाक्ष्यै नमः स्वाहा ॐ हरिद्राभायै नमः स्वाहा ॐ आर्द्रायै नमः स्वाहा ॐ सरसिज-निलयायै नमः स्वाहा ॐ सरोज-हस्तायै नमः स्वाहा ॐ धवल-तरायै नमः स्वाहा ॐ शुभ-गन्ध-माल्यै नमः स्वाहा ॐ भगवत्यै नमः स्वाहा ॐ हरि-वल्लभायै नमः स्वाहा ॐ मनोज्ञायै नमः स्वाहा ॐ त्रिभुवन-भूति-करायै नमः स्वाहा ॐ पद्माननायै नमः स्वाहा ॐ पद्माक्ष्यै नमः स्वाहा ॐ पद्म-सम्भावायै नमः स्वाहा ॐ क्षमायै नमः स्वाहा ॐ माधव्यै नमः स्वाहा ॐ माधव-प्रियायै नमः स्वाहा ॐ विष्णु-प्रियायै नमः स्वाहा ॐ अच्युत-वल्लभायै नमः स्वाहा ॐ देव-देव्यै नमः स्वाहा ॐ विश्व-प्रियायै नमः स्वाहा ॐ विश्व-मनोऽनुकूलायै नमः स्वाहा ॐ श्रीरमा-देव्यै नमः स्वाहा ॐ श्रीसीतायै नमः स्वाहा ॐ श्रीराधायै नमः स्वाहा ॐ श्रीरुक्मिण्यै नमः स्वाहा ॐ वेदवत्यै नमः स्वाहा ॐ त्रिपाद-विभूत्यै नमः स्वाहा ॐ कमलायै नमः स्वाहा ॐ कमलालयायै नमः स्वाहा ॐ चञ्चलायै नमः स्वाहा ॐ हरि-प्रियायै नमः स्वाहा ॐ दारिद्र्य-परिहारिण्यै नमः स्वाहा ॐ गृह-लक्ष्म्यै नमः स्वाहा ॐ त्रैलोक्य-पूजितायै नमः स्वाहा ॐ विष्ण-वल्लभायै नमः स्वाहा ॐ वैष्णव्यै नमः स्वाहा ॐ लोक-सुन्दर्यै नमः स्वाहा ॐ अमृतोद्-भवायै नमः स्वाहा ॐ स्वर्ण-रुपायै नमः स्वाहा ॐ स्वर्ण-प्रभायै नमः स्वाहा ॐ मुक्तिदायै नमः स्वाहा ॐ भुक्तिदायै नमः स्वाहा ॐ यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र-रुपायै नमः स्वाहा ॐ वरारोहायै नमः स्वाहा ॐ शांर्गिण्यै नमः स्वाहा ॐ लोक-धात्र्यै नमः स्वाहा ॐ ब्रह्म-मात्रे नमः स्वाहा ॐ पद्म-मुख्यै नमः स्वाहा ॐ पद्म-कान्त्यै नमः स्वाहा ॐ जगत्प्रसूत्यै नमः स्वाहा ॐ सर्व-जीव-शरण्यायै नमः स्वाहा ॐ करुणाकरायै नमः स्वाहा ॐ वात्सल्य-सागरायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-सौलभ्यायै नमः स्वाहा ॐ कोटि-कन्दर्प-लावण्यायै नमः स्वाहा ॐ सौन्दर्य-सागरायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-मंगल-मांगल्यायै नमः स्वाहा ॐ शरणागत-परित्राणायै नमः स्वाहा ॐ दीनार्ति-हारिण्यै नमः स्वाहा ॐ सर्वारिष्ट-शान्ति-करायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-रोग-ग्रह-बाधादि-शमनायै नमः स्वाहा ॐ सर्वापत्ति-वारणायै नमः स्वाहा ॐ सदानुग्रह-सम्पन्नायै नमः स्वाहा ॐ धन-धान्य-समृद्धि-करायै नमः स्वाहा ॐ पुत्र-पौत्र-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ वंश-वृद्धि-करायै नमः स्वाहा ॐ सर्वाभीष्ट-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-मनो-वाञ्छित-फलदायै नमः स्वाहा ॐ सर्वानुष्ठान-सिद्धि-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-विधि-विजय-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ हय-भू-गजाश्व-गो-भृत्यादि-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ दिव्यैश्वर्य-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ दिव्य-ज्ञान-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ सत्-सम्प्रदायै नमः स्वाहा ॐ शीघ्र-प्रसन्नायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-शान्ति-करायै नमः स्वाहा ॐ सर्व-मंगल-प्रदायै नमः स्वाहा ॐ सांगायै नमः स्वाहा ॐ सायुधायै नमः स्वाहा ॐ सपरिवारायै नमः स्वाहा ॐ सपरिकरायै नमः स्वाहा ॐ स-पार्षदायै नमः स्वाहा ॐ महा-लक्ष्म्यै नमः स्वाहा अन्त में माता लक्ष्मी के पुत्रों के नाम-मन्त्रों से आहुतियाँ दे – ॐ देव-सखाय नमः स्वाहा ॐ चिक्लीताय नमः स्वाहा ॐ आनन्दाय नमः स्वाहा ॐ कर्दमाय नमः स्वाहा ॐ श्रीप्रदाय नमः स्वाहा ॐ जातवेदाय नमः स्वाहा ॐ अनुरागाय नमः स्वाहा ॐ सम्वादाय नमः स्वाहा ॐ विजयाय नमः स्वाहा ॐ वल्लभाय नमः स्वाहा ॐ मदाय नमः स्वाहा ॐ हर्षाय नमः स्वाहा ॐ बलाय नमः स्वाहा ॐ तेजसे नमः स्वाहा ॐ दमकाय नमः स्वाहा ॐ सलिलाय नमः स्वाहा ॐ गुग्गुलाय नमः स्वाहा ॐ कुरुण्टकाय नमः स्वाहा – उक्त नाम-मन्त्रों द्वारा हवन करने के बाद निम्न मन्त्र द्वारा भगवती महा-लक्ष्मी के चरणों में जल अर्पित कर प्रणाम करे – ‘अनेन होमाख्येन कर्मणा महा-लक्ष्मीः प्रीयताम्’ – फिर निम्न मन्त्र पढ़कर अग्नि का विसर्जन करे – ॐ भो भो वह्ने ! महा-शक्ते ! सर्व-काम-प्रसाधक ! कर्मान्तरेऽपि ! सम्प्राप्ते, सान्निध्यं कुरु सादरम् ।। Please follow and like us: Related