विविध कार्य-साधक अम्बिका मन्त्र

मन्त्रः-

om, ॐ

“ॐ आठ-भुजी अम्बिका, एक नाम ओङ्कार ।

खट्-दर्शन त्रिभुवन में, पाँच पण्डवा सात दीप ।

चार खूँट नौ खण्ड में, चन्दा-सूरज दो प्रमाण ।

हाथ जोड़ बिनती करूँ, मम करो कल्याण ।।”

विधि – नित्य १०८ जप करके जो भी प्रार्थना की जाएगी, पूरी होगी । सिद्ध मन्त्र है । अलग से सिद्ध करना आवश्यक नहीं है । नित्य कुछ जप पर्याप्त है । कुछ प्रयोग निम्न-लिखित हैं –
चुटकी में राख लेकर ३ बार अभिमन्त्रित करके मारने से –
(१) लगी आग बुझ जाएगी ।
(२) भूत – प्रेतादि दूर होंगे ।
(३) बुखार उतर जाएगा ।
(४) नजर आदि दूर होगी ।
(५) शत्रु-नाशार्थ- १ नारियल, २ नीबू, १। पाव गुड़, १ पैसा भर सिन्दूर अगर-बत्ती और नींबू बँध सके, इतना लाल कपड़ा । शनिवार की रात में कण्डे की आग जलाकर पूर्वाभिमुख बैठकर कण्डे की राख १ चुटकी लेकर उस पर १ बार मन्त्र पढ़कर शत्रु की दिशा में फेंके । ऐसा, तीन बार करे । फिर कहें कि ‘मेरे अमुक शत्रु का नाश करो ।’ और १ नींबू काटकर आग पर निचोड़े । फिर शेष बचा नींबू और सिन्दूर कपड़े में लपेट कर रात भर अपने सिरहाने रखें और सबेरे पहर ३-४ बजे उसे शत्रु के घर में फेंक दे या किसी से फिंकवा दें । नारियल, अगर-बत्ती और गुड़ किसी देवी-मन्दिर में चढ़़ा दें । प्रसाद स्वयं न खाए । शत्रु का नाश होगा ।

 

 

 

 

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