विविध कीलन
मन्त्रः- “भय कीलूँ, भैसासुर कीलूँ । कीलूँ अपनी काया । जागता मसान कीलूँ, जिसकी बैठूँ छाया । बलिहारी मुहम्मदा बीर की, कीलूँ पवन बावरी, मन चाहे जहाँ डोलूँ, दुष्ट की मुष्ट कीलूँ । मेरे कीले न कीलै, तो अपनी माँ के सङ्ग हराम करे, दुहाई मुहम्मदा वीर की ।।”

vadicjagat
विधि – २१ दिन तक नित्य १०८ जप करे । जरूरत के समय काली उड़द के दानों पर २१ बार पढकर फेंक दे, तो कीलन हो । २१ बार अभिमन्त्रित कर सुगन्धित अगर-बत्ती जला दे । जहाँ तक अगर-बत्ती की खुशबू जाएगी, वहाँ तक दृष्टादृष्ट का कीलन होगा । मन्त्र पढ़ते हुए शत्रु की तरफ फूँक मार दे, तो वह भी अहित नहीं कर सकेगा ।

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